Book Title: Merutungasurina Prabandh Chintamani ma Varnit Ketlik Dhyanpatra Babato
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ 118 अनुसंधान- २४ आनो संकेत स्पष्ट छे : पाज न होवाथी ज राजाने ऊपर चडवानी गुरुए ना कही हती. (१२) हेमाचार्यना स्वर्गगमन पछी, तेमना देहनो अन्तिम संस्कार थयो ते स्थानने प्र. चि. 'हेमखड्डू'ना नामे ओळखावे छे. "तत्र हेमखड्ड इत्यद्यापि प्रसिद्धिः ।" (पृ. ९५ ) आ 'हेमखाड़' आजे क्यां छे, ते जग्यानुं शुं थयुं, कोना कबजामां छे, ते विषे अंधारपट ज प्रवर्ते छे. हमणां एक प्रमाण एवं जाणवा मळ्युं छे के आ स्थाने पौषधशाला के तेवुं कोई धर्मस्थान हतुं, जे पछीथी विधर्मीओना हाथमां जतां नष्ट थईने आजे त्यां दरगाह जोवा मळे छे. एक वृत्तपत्रे आ अंगे ऐतिहासिक विगतो भेगी करीने प्रकाशित करतां तेने हुल्लड प्रकारना आक्रमणनो भोग बनवुं पड्युं अने अंक पाछो खेंचवा साथे जाहेरमां माफी मागवी पडी होवानुं पण आधारभूत रीते जाणवा मळे छे. आपणे कोई साथे क्लेश न करीए, परंतु आपणा ज ऐतिहासिक स्थानादिनी आ स्थिति थयेली जोवानुं पण आपणने ज फावे, ते पण स्वीकार ज पडे - खेदपूर्वक. (१३) एक अत्यन्त रसप्रद वात प्र. चि.मां एवी मळे छे के सं. १२७७-७८मां वस्तुपाल मंत्री संघ साथे तीर्थयात्राए गया, त्यारे प्रभासपाटण क्षेत्रमां तेमने 'सोमनाथ महादेव'नो एक ११५ वर्षनी उमर धरावतो ब्राह्मण पूजारी मळेलो, अने तेणे मंत्रीने कहेलुं के 'अहीं हेमाचार्ये सोमेश्वरनां प्रत्यक्ष दर्शन करावेलां.' "प्रभु श्रीहेमाचार्यै: श्री कुमारपालनृपतये जगद्विदितं श्रीसोमेश्वरः प्रत्यक्षीकृत इति पञ्चदशाधिकवर्षशतदेश्यधार्मिकपूजाकारकमुखादाकर्ण्य तच्चरित्र - चित्रितमना: " (पृ. १०१ ). आ पूजारी संवत् ११६३ लगभग जन्मेलो होय तो हेमाचार्यवाळा प्रसंगे ते ५० थी ६५ वर्षनो आशरे होय, अने वस्तुपाल गया त्यारे ११५ नो होय. जे होय ते, पण सोमेश्वरना साक्षात्कारनी वातने- तेनी सत्यताने आ एक सबळ आधार मळी रहे छे ते चोक्कस. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11