Book Title: Meghagani Nirvan Ras
Author(s): Vinaysagar
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 3
________________ 124 अनुसन्धान 49 इसी प्रति में मेघमहामुनि का एक ओर निर्वाण भास है, जो की अपूर्ण है / वह निम्न है : मेघमहामुनि वरतणा सखी गावहे 2 नित गुण सार || मेघ० 3 // कुंकुमचन्दन गुहली सखी साथी इहे 2 साली पुरावी / मेघ महामुनि सीसनइ सखी आविहे 2 भावि वधावी // मेघ० 4 / / काम कुंभ चिन्तामणि मुझ भणई हे 2 आव्या आज / मेघमहामुनि नामथी मुझ सरिया हे 2 वंछिय काज // मेघ० 5 // दिन दिन दौलत अतिघणी जस नामइ हे 2 बहुपरिवार / विमलहंस भगती भणई मेघ नामइए नित जयकार || मेघ० 6 // इति गणि श्री मेघा निर्वाण भास कवि कहता है कि इनके स्मरण से कामकुम्भ, चिन्तामणि आदि प्राप्त हो जाते हैं और विमलहंस भक्ति से मेघ का गुणगान करता है / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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