Book Title: Man paryava gyan bhi Sambhav hai
Author(s): Gulabchandra Maharaj
Publisher: Z_Mohanlal_Banthiya_Smruti_Granth_012059.pdf

View full book text
Previous | Next

Page 4
________________ स्व: मोहनलाल बांठिया स्मृति ग्रन्थ मनःपर्याय ज्ञानी मानस परमाणुओं से मन के परिणामों को साक्षात जान लेता है। मनोवैज्ञानिक भी आभामंडल के सहारे मन की स्थिति को पहचान लेता है। दोनों की प्रक्रियाओं में बहुत बड़ी समानता है / यह समानता इस बात की सूचक है कि जिस मनःपर्याय ज्ञान को समय के प्रभाव से विच्छिन्न मान लिया गया है, क्या आज का विज्ञान उसके निकट नहीं पहुंच रहा है। आधुनिक विज्ञान ने धर्म, दर्शन और अध्यात्म के अनेक रहस्यपूर्ण तथ्यों का उदघाटन किया है। आभामंडल के सहारे मन की स्थिति को पहचान लेने का उपक्रम उसी रहस्य की खोज में एक नई कड़ी है तथा अध्यात्मविदों के लिए चिंतन और विकास के नये आयामों का उदघाटन करने की पर्याप्त संभावना उसमें निहित है। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4