Book Title: Man paryava gyan bhi Sambhav hai
Author(s): Gulabchandra Maharaj
Publisher: Z_Mohanlal_Banthiya_Smruti_Granth_012059.pdf

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________________ दर्शन दिग्दर्शन मनःपर्यव ज्ञान भी सम्भव है ? - मुनि गुलाबचन्द्र 'निर्भाही' डॉः मैक्सी मिलियन लैंगस्नर वियना के एक सुप्रसिद्ध मनोविज्ञानशास्त्री हो चुके हैं। उन्होंने मस्तिष्क तरंगों के आधार पर अपराधी के मन को पढ़ने का सफल प्रयत्न किया था। एक बार कनाडा के फार्म हाउस में एक साथ हुई चार हत्याओं के अपराधी का पता मस्तिष्क तरंगों के आधार पर ही उन्होंने लगाया था। उन्होंने इस सम्बन्ध में बतलाया कि मनुष्य के विचार अपने कार्य-कलाप और तीव्रता में रेडियो तरंगों की भांति होते हैं। तीव्रता न होने पर वे शीघ्र ही लुप्त हो जाते हैं। मनुष्य में ऐसी मनोवेगों को ग्रहण करने की अन्तर्निहित शक्ति होती है। इसी शक्ति से उच्च वर्ग के प्राणी एक दूसरे से अपने विचार अभिव्यक्त करते हैं। परन्तु मानव में अभिव्यक्ति के लिए वाकशक्ति भी है अतः वह अभिव्यक्ति की अन्तर्निहित शक्ति पुनः अर्जित की जा सकती है। इस शक्ति से किसी भी व्यक्ति का विचार पठन किया जा सकता है और यह विचार पठन बहुत उपयोगी है, विशेष तौर से अपराध के क्षेत्र में, क्योंकि कोई भी अपराधी अपने कुकृत्यों से कभी विचार मुक्त नहीं हो पाता है। विचार तरेंगें उसके अवचेतन मन में सदा उत्पन्न होती रहती हैं और उन्हों मनोवैज्ञानिक ग्रहण कर सकते हैं। उन्होंने इस बात को भी स्पष्ट किया किया कि वातावरण में विचार तरंगें काफी समय तक बनी रहती हैं और उन्हें पकड़ा जा सकता है। उन्होंने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि अपराधी के दिमाग में अपने किए हुए अपराध के चित्र बनते और बिगड़ते हैं। कोई भी मनोविज्ञान को समझने वाला उन चित्रों को आसानी से ग्रहण कर सकता है। एक अन्य रूसी वैज्ञानिक किरलियान ने हाई फिक्वेंसी की फोटोग्राफी का विकास किया है। यदि ऐसी फोटोग्राफी से किसी के हाथ का चित्र लिया जाए तो केवल हाथ Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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