Book Title: Man Shakti Swarup aur Sadhna Ek Vishleshan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Z_Shwetambar_Sthanakvasi_Jain_Sabha_Hirak_Jayanti_Granth_012052.pdf

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Page 14
________________ मन-शक्ति, स्वरूप और साधना : एक विश्लेषण 383 52. वही, 32/71 53. वही, 32/72 54. वही, 32/75 55. वही, 32/76 56. वही, 32/79 57. वही, 32/80 58. वही, 32/84 59. योगशास्त्र (हेमचन्द्र) संपा०, मुनि समदर्शी, प्रका०, श्री ऋषभचन्द जौहरी किशन लाल जैन, दिल्ली 1963, 4/28-33 / 60. गीता, संपा०, स्वामी प्रभुपाद, प्रका०, भक्ति वेदान्त बुक ट्रस्ट, बम्बई 1993, 2/60-67, 3/41 / 61. धम्मपद, अनु०, राहुल सांकृत्यायन, प्रका०, बुद्ध बिहार, लखनऊ 1/7-8 / उत्तराध्ययनसूत्र, संपा०, साध्वी चन्दना, प्रका०, वीरायतन प्रकाशन, आगरा, 1972, 32/100 / 63. वही, 32/101 / 64. गीता, 3/43 65. गीता, 3/6 66. गीता, 2/59 67. उत्तराध्ययनसूत्र, 32/109 68. गीता, संपा०, स्वामी प्रभुपाद, प्रका०, भक्तिवेदान्त बुक ट्रस्ट, बम्बई 1993, 2/64 / 69. मणो साहसिओ भीमो दुट्ठसो परिधावई। -उत्तराध्ययनसूत्र, संपा०, साध्वी चन्दना, प्रका०, वीरायतन प्रकाशन, आगरा 1972, 23/58 70. संरम्भ-समारम्भे आरम्भे य तहेव य। मणं पवत्तमाणां तु नियत्तिज्ज जयं जई।। ---उत्तराध्ययनसूत्र, संपा०, साध्वी चन्दना, प्रका०, वीरायतन प्रकाशन, आगरा 1972, 24/11 71. गीता, संपा०, स्वामी प्रभुपाद, प्रका०, भक्तिवेदान्त बुक ट्रस्ट, बम्बई 1993, 6/34 / 72. वही, 6/35 / 73. मन:संयम्य मच्चित्तो युक्त आसीत मत्परः ।-वही, 6/14 / 74. धम्मपद, (चित्तवर्ग), अनु०, राहुलसांकृत्यायन, बुद्ध विहार, लखनऊ, 33-35 / 75. योगशास्त्र (हेमचन्द्र), 36-39 / 76. प्रकृतिं यान्ति भूतानि निग्रहः किं करिष्यति। -गीता, संपा०, स्वामी प्रभुपाद, प्रका०, भक्तिवेदान्त बुक ट्रस्ट, बम्बई, 1993, 3/33 / 77. सर्वावस्या एवं राजर्षि! भूतजातैर्जगत्त्रये। देवादेवारपि देहोज्ञयं द्वयात्मैव स्वभावतः। अज्ञमस्वथ तज्ज्ञ वा यावत्स्वान्तं शरीरकर्म।। -योगवासिष्ठ, निर्णयसागर प्रेस, बम्बई, 1918,105/109 / 78. तथा तथा प्रवर्तेत यथा न क्षुभ्यते मनः। संक्षुब्धे चित्तरत्ने तु सिद्धिर्नैव कदाचन।। प्रज्ञोपायविनिश्चय,५/४० (उद्धृत बोधिचर्यावतार, भूमिका),पृ०२०। 79. बोधिचर्यावतार, भूमिका, पृ० 20 / 80. विशेष जानकारी के लिये देखिये-गुणस्थानारोहण। 81. योगशास्त्र, संपा०, मुनि समदर्शी, प्रका०, श्री ऋषभचन्द्र जौहरी, किशनलाल जैन, दिल्ली 1963, 12/33-36 / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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