Book Title: Malva Ek Bhaugolik Parivesh Author(s): Basant Sinh Publisher: Z_Munidway_Abhinandan_Granth_012006.pdf View full book textPage 1
________________ मालवा : एक भौगोलिक परिवेश डा० बसंतसिंह मालवा अपने स्थल विन्यास तथा ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक उपलब्धियों के कारण ऐतिहासिक समय से ही एक भौगोलिक इकाई के रूप में जाना जाता रहा है। इस प्रदेश का सम्पूर्ण क्षेत्रफल लगभग १५०,००० वर्ग कि० मी. है। २५-१० से २७-७० उत्तरी अक्षांशों एवं ७५-४५ और ७६-१४ पूर्वी देशान्तरों के मध्य तथा प्रायद्वीप के सबसे उत्तरी भाग में फैला हुआ यह प्रदेश भारतीय संघ के तीन राज्यों अर्थात् मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं महाराष्ट्र के भू-भाग को आवृत किये हुए है। मध्य प्रदेश के १८ जिले तथा राजस्थान के बांसवाडा-झालावाड-प्रतापगढ तथा चित्तौडगढ जिलों और महाराष्ट्र के धुलिया एवं जलगाँव जिलों के सम्पूर्ण अथवा आंशिक भाग इसमें सम्मिलित किये जाते हैं । मालवा प्रदेश की कुल जनसंख्या लगभग १२ मिलियन है। इसका निर्माण बुन्देलखण्ड नीस-बसाल्ट तथा गोंडवाना शैलों एवं लावा से हुआ है। कर्करेखा मालवा के लगभग मध्य से होकर गुजरती है। __ ऐतिहासिक पृष्ठभूमि मालवा शब्द का प्रादुर्भाव संस्कृत के दो शब्दों 'मा' (MA) और 'लव' (LAV) से हुआ प्रतीत होता है। संस्कृत साहित्य में प्रथम का आशय देवी लक्ष्मी तथा द्वितीय का तात्पर्य भू-भाग से है। दोनों का सम्मिलित अर्थ सम्पदादायिनी लक्ष्मी के निवासस्थान से लिया जाता है। उपर्युक्त नामकरण यहाँ की उपजाऊ भूमि को देखते हुए किया गया होगा। प्रो० राजबली पाण्डे ने मालवा प्रदेश को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित मल्ल राष्ट्र का एक भू-भाग बताया है। उनके कथनानुसार मल्ल से ही मलय और अन्त में मालवा शब्द का प्रादुर्भाव हुआ । पाणिनी के साहित्य में भी मालवों का प्रसंग अप्रधिजिवीन के नाम से आता है। जो सिकन्दर महान के आक्रमण के समय तक रावी तथा चिनाव नदियों के संगम के उत्तरी भाग में रहते थे। कालान्तर में उन लोगों ने चम्बल तथा नर्मदा नदियों के आबाद क्षेत्रों तथा राजस्थान में बस गये और आधुनिक मालवा का नामकरण हो पाया। प्रारम्भिक बौद्ध एवं जैन साहित्यों, हिन्दू कथाओं, रामायण तथा महाभारत में भी मालवों का सम्मानित प्रसंग आता है। बुद्ध काल में तो मालवा अपनी वास्तु कला (Architecture and Sculpture) की चरम सीमा पर पहुंचा हुआ बताया गया है। ईसा से ३२७ वर्ष पूर्व मालवा पर मौर्य साम्राज्य का आधिपत्य था। इसके Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8