Book Title: Malarohan
Author(s): Gyanand Swami
Publisher: Bramhanand Ashram

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Page 131
________________ २३९ ] [मालारोहण जी [ २४० भजन सही है सही है... शुद्धातम की गुरूवर ने महिमा कही है। सही है सही है सही है सही है ॥ आतम शुद्धातम परमातम यही है । सही है सही है सही है सही है ॥ (२९) सम्यग्दर्शन प्राप्त करने की एक ही विधि है, वह है-संसार भोगों से विरक्त होकर अखंड एवं अनन्त गुणों के समुदाय आत्मा की आस्था करना। (३०) जैसे - वीरता बिना सैनिक, नाक के बिना सुन्दर मुख, मुद्रिका बिना अंगुली, दरवाजे बिना सुन्दर महल,चाहर दीवारी के बिना बगीचा, शोभा नहीं देते, इसी प्रकार सम्यग्दर्शन बिना धर्म शोभित नहीं होता। (३१) क्षायिक सम्यग्दर्शन या तो उपशम सम्यक्त्व या वेदक सम्यक्त्व से होता है इसीलिये पहले दो सम्यक्त्व साधन हैं और क्षायिक सम्यक्त्व साध्य है। क्षायिक सम्यक्त्व होने पर कभी छटता नहीं है। उसी भव में या तीसरे भव में नियम से मुक्ति की प्राप्ति होती है। (३२) भेदज्ञान द्वारा स्व-पर का यथार्थ निर्णय कर क्योंकि उपादेय की तरह हेय को भी जानना आवश्यक है, हेय को जानने से उपादेय में दृढ आस्था होती है। निज शुद्धात्मानुभूति ही सम्यग्दर्शन है और यह किसी जीव को कभी भी हो सकता है, इसमें कोई काल, पर्याय, परिस्थिति, साधक बाधक नहीं है। सम्यग्दर्शन ही संसार की मौत और मुक्ति को प्राप्त करना निश्चित हो जाता है। अभी तक न जाना पहिचाना था खुद को। संसारी शरीरधारी ही माना था खुद को ॥ दिखाया शुद्धातम जब गुरूवर ने हमको । मिटाया मद मिथ्यात्व अज्ञान तम को ॥ आतम शुद्धातम रत्नत्रय मयी है । सही है सही है सही है सही है ॥ जगत का परिणमन सब क्रमबद्ध है निश्चित । टाले से जो टलता नहीं कुछ भी किंचित् ॥ जीव आत्मा सब हैं सिद्ध स्वरूपी । पुद्गल परमाणु भी शुद्ध है रूपी ॥ सत् द्रव्य लक्षण यह जिनवर कही है। सही है सही है सही है सही है ॥ जय तारण तरण सच्चे देव - तारण तरण सच्चे गुरू तारण तरण सच्चा धर्म - तारण तरण शुद्धात्मा जय तारण तरण जिनने भी धुव तत्व का आश्रय लिया है। मुक्ति श्री का आनंद अमृत रस पिया है ॥ जो भव्य आत्मा निज की श्रद्धा करेंगे । वे सब जिन जिनवर परमातम बनेंगे ॥ मुक्ति का मारग बस एक यही है । सही है सही है सही है सही है ॥ - तारण तरण ---*---*---*---

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