Book Title: Maheke Ab Manav Man Author(s): Tulsi Acharya Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 6
________________ संपादक मुनि धर्मरुचि - - - मानव उत्सवप्रिय प्राणी है । वह उल्लसित रहना चाहता है, इसलिए उत्सव मनाता है । वह जीवन में बदलाव चाहता है, इसलिए उत्सव मनाता है । वह संस्कृति की सुरक्षा चाहता है, इसलिए उत्सव मनाता है । - गणाधिपति श्री तुलसी m चि. मनोजकुमार खटेड (सुपुत्र की भीकमचन्द जी खटेड) के विवाह-उत्सव पर 14 फरवरी, 1997 को सप्रेम भेंट । maAMu otammar - पदमचन्द खटेड़ स्वीटी सदन 705 ए/5, वार्ड सं. 3, महरौली, नई दिल्ली - 110030 - - मूल्य : पच्चीस रुपये/प्रकाशक : जैन विश्वभारती, लाडनूं. नागौर (राज.)/ मुद्रक : मित्र परिषद्, कलकत्ता के अर्थ-सौजन्य से स्थापित जैन विश्वभारती प्रेस, लाडनूं-३४१ ३०६ । MAHAKE AB MANAV MAN Ganadhipati Tulsi Rs. 25/ - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 222