Book Title: Mahavira Siddhanta aur Updesh
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 10
________________ [ ] किया ? इसका सजीव चित्रण कविश्रीजी ने अंकित किया है। २. महावीर के सिदान्त-समाज और राष्ट्र के रूढ़ विचार और रूढ़ आचार को बदलने के लिए सिद्धान्तों को प्रस्तुत करना आवश्यक होता है। महावीर ने समता, अपरिग्रह, अहिंसा, सत्य, अनेकान्त, ब्रह्मचर्य, साधुता, आदि सिद्धान्तों को समाज और राष्ट्र के सामने इस ढंग से प्रस्तुत किया, जिससे तत्कालीन समाज, राष्ट्र एवं धर्म के क्षेत्र में हलचल मच गई। उन्होंने मानवजाति के हित के लिए ही इन सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया था। भारतवर्ष के आध्यात्मिक, सामाजिक और राष्ट्रीय नेताओं ने इन्हीं सिद्धान्तों पर चल कर एवं दूसरों को चलने की प्रेरणा दे कर समाज एवं राष्ट्र का कायाकल्प किया है । गाँधीजी की आँधी भी इन्हीं सिद्धान्तों पर आधारित थी। कबीर का समाज - क्रान्तिकारी नाद इन्हीं सिद्धान्तों को केन्द्र में रख कर हुआ था। संत विनोबा का भूदानयज्ञादि दानों का आन्दोलन भी इन्हीं सिद्धान्तों की पृष्ठभूमि पर टिका हुआ है। वास्तव में देखा जाए, तो भगवान् महावीर द्वारा प्ररूपित अतिथि संविभागवत तथा 'असंविभागी नहु तस्स मुक्खो' आदि अपरिग्रहवाद ही इस यज्ञ के पीछे काम कर रहा है। सर्वोदय का सर्व-कल्याणकारी सिद्धान्त भी भगवान् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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