Book Title: Mahavira Jivan Bodhini
Author(s): Girishchandra Maharaj, Jigneshmuni
Publisher: Calcutta Punjab Jain Sabha

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Page 372
________________ देवलोक में देवराज इन्द्र का। प्रे. ३६ म. स्वामी के चरणों में देवेन्द्र ने क्या अनुरोध किया था ? "भगवन् ! आपके गर्भ, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान के समय हस्तोत्तरा नक्षत्र था, इस समय उसमें भस्मग्रह संक्रांत होनेवाला है। यह नक्षत्र दो हजार वर्ष तक आपके धर्मसंघ के प्रभाव को क्षीण करता रहेगा, अतः यह जब तक आपके जन्म नक्षत्र में संक्रमण कर रहा है, आप अपने प्रायुष्य बलको स्थिर रखिए। 'प्र. ३७ म. स्वामी ने देवेन्द्र से क्या कहा था ?" उ. "शुक्र ! आयुष्य कभी बढ़ाया नहीं जा सकता। काल-प्रभाव से जो कुछ होना है, उसे कौन रोक सकता है ?" 'प्र. ३८ म. स्वामी के सिद्धांतों की रचना किसने की थी? उ. गणधरों ने। ३९ म. स्वामी के गहस्थावस्था का समय कितना था ? उ. ३० वर्ष । 'प्र. ४० म. स्वामी की दीक्षा पर्याय का समय कितना था? #

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