Book Title: Mahavir ki Rekha Ganitiya Uppattiya
Author(s): Satyaprakash Saravsati
Publisher: Z_Kailashchandra_Shastri_Abhinandan_Granth_012048.pdf

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Page 9
________________ इसी प्रकार हम एक उदाहरण वज्र का लेंगे / - --- --- - वज्र बीचोंबीचमें शून्य मोटाईका है, मुखकी चौड़ाई = a और आयाम = c है, अतः निम्न उदाहरणमें : वज्राकृतेस्तथास्य क्षेत्रस्य षडग्रनवतिरायामः / मध्येसूचिर्मुखयो स्त्रयोदशत्र्यंशसंयुताः दण्डाः / / (ग० सा० सं०, 7 / 26) चित्र 8. बज्र यहाँ c= 96 दंड, मुख पर का मान = a = 133 दंड; b = 0 क्षेत्रफल = (49+0) x 96 = 640 वर्गदण्ड महावीरने अपने ग्रन्थ गणितसार-संग्रहके क्षेत्राध्यायमें इसी प्रकारकी अनेक उपपत्तियोंका विवरण दिया है। वृत्तों, त्रिभुजों और चतुर्भुजोंके इतने विस्तार दिये हैं जिनका उल्लेख करना यहाँ सम्भव नहीं है। प्राचीन गणितसे सम्बन्ध रखनेवाले इतिहासमें महावीरका नाम अमर है और कोई भी इतिहासकार इस गणितज्ञकी उपेक्षा नहीं कर सकता है। आर्यभटीय, वखशाली हस्तलिपि, पाटीगणित ( श्रीधरकी) और ब्रह्मस्फुटसिद्धान्तके समान गणितसार-संग्रह अमर ग्रन्थ है, जिससे प्रत्येक भारतीय गणितप्रेमीको परिचित होना चाहिये। VODA . . . 54 -425 - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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