Book Title: Mahavir ki Rekha Ganitiya Uppattiya Author(s): Satyaprakash Saravsati Publisher: Z_Kailashchandra_Shastri_Abhinandan_Granth_012048.pdf View full book textPage 7
________________ R AHARI मान लो कम्बुवृत्तका व्यास =a, मुखका आयाम = m; ती परिधि = 3 (अ-1 m) क्षेत्रफल = [3 (a- m) ]x + (m/2) x2 एक अन्य स्थल पर महावीरने कम्बु-निभ वृत्तकी परिधि (परिक्षेप) और क्षेत्रफल दोनोंका अधिक सूक्ष्म मान निम्न शब्दों में दिया है : वदना?नो व्यासो दशपदगुणितो भवेत्परिक्षेपः । मुखदलरहितव्यासार्धे वर्गमुखचरणकृतियोगः ।। दशपदगुणिता क्षेत्रकम्बुनि मे सूक्ष्मफलमेतत् ।। (ग० सा० सं०,७६५-६६) दशपदका अर्थ /१० अर्थात् १० का वर्गमूल है। इस सूक्ष्म मानके आधार पर कम्बु-वृत्तके लिये परिक्षेप या परिधि = /10x (a-m) क्षेत्रफल = [ { (a-|m)x } + m/4] x /10 बहिः और अन्तश्चक्रवाल वृत्तोंके क्षेत्रफल-किसी वृत्तके बाहर दूसरा समकेन्द्रक वृत्त खींचा जा सकता है और इसी प्रकार कभी उसी वृत्तके भीतर भी एक समकेन्द्रक वृत्त खींचा जा सकता है। इन दोनों स्थितियोंमें दो प्रकारके चक्रवालवृत्त प्राप्त होते हैं-अन्तःश्चक्रवाल वृत्त और बहिःचक्रवाल वृत्त । दोनों अवस्थाओंमें दो समकेन्द्रक वृत्तोंके बीचमें जो क्षेत्र घिरा हुआ है, उसका क्षेत्रफल निकालना है। महावीरने इसके निकालनेकी स्थूल और सूक्ष्म-दोनों चित्र ५. (क) चित्र ५. (ख) प्रकारकी गणनायें दी हैं : अन्तश्चक्रवालवृत्त बहिश्चक्रवालवृत्त निर्गमसहितो व्यासस्त्रिगुणो निर्गमगुणो बहिर्गणितम् ।। रहिताधिगमव्यासादभ्यन्तरचक्रवालवृत्तस्य ।। (ग० सा० सं०, ७।२८) भीतरके वृत्तके व्यासमें निर्गमकी चौड़ाई (breadth of annular space) को जोड़ दो और इसे तीनसे गुणा कर दो, तो बहिःचक्रवालवृत्तका क्षेत्रफल निकल आवेगा। इसी प्रकार, वृत्तके व्यास मेंसे अधिगमकी चौड़ाईको घटा दो और फिर इसे ३ से गुणा करके अधिगम चौड़ाईसे गुणा करो तो अन्तश्चक्रवालवृत्तका क्षेत्रफल निकल आवेगा। मान लो कि दिये वृत्तका व्यास d है और इसके बाहर खींचे वृत्तका निर्गम a है तो बहिःचक्रवालवृत्तका क्षेत्र = (d+a)x3xa 45955535363555755 HERESTHETHERETEERTHA Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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