Book Title: Mahavir ki Nirvanbhumi Pava
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Z_Sagar_Jain_Vidya_Bharti_Part_6_001689.pdf

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Page 7
________________ भगवान महावीर की निर्वाणभूमि पावा - एक पुनर्विचार : 47 के द्वारा की गई, उसी प्रकार इस मुद्रा के आधार पर इसे ‘पावा' स्वीकार किया जा सकता है। पुनः महावीर के कैवल्यस्थल से इस स्थल की दूरी भी सरल सीधे मार्ग से 12-13 योजन के लगभग सिद्ध होती है। ज्ञातव्य है कि योजन की लम्बाई को लेकर भी विभिन्न मत है। यह दूरी एक योजन मात्र 9.09 या लगभग 15 किलोमीटर मान कर निश्चित की गई है। __ मैंने इस पावा की अवस्थिति को उसमानपुर के समीप और कैवल्यस्थल लछवाड़ को जमुई के समीप मानकर नक्शे के स्केल के आधार पर दूरी निकाली थी, जो लगभग 190 किलोमीटर आती है। अत: उसमानपुर वीरभारी को पावा मानने पर आगमिक व्याख्याओं की 12 योजन की दूरी का भी कुछ समाधान मिल जाता है। फिर भी जब तक फाजिलनगर के डीह और वीरभारी के टीलों की खुदाई न हो और सबल पुरातात्त्विक साक्ष्य उपलब्ध न हों इस सम्बन्ध में अन्तिम निर्णय देना समुचित नहीं होगा, तथापि पावा की पहचान के सम्बन्ध में जो विभिन्न विकल्प हैं, उनमें मुझे उसमानपुर वीरभारी का पक्ष सबसे अधिक सबल प्रतीत होता है और वर्तमान में राजगृह के समीपवर्ती पावापुरी को महावीर की निर्वाणभूमि पावा मानना सन्देहास्पद लगता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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