Book Title: Mahavir Vani
Author(s): Shreechand Rampuriya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 408
________________ ग्रंथ-सूची अनुयोगद्वार-आर्यरक्षित सूरि; प्रका० देवचन्द्र लालभाई पुस्तकोद्धार फंड, वि० सं० २०१६। आचारांग-अंगसुत्ताणि (खं० १)-आयारो, पृष्ठ १-७६, वाचना-प्रमुख आचार्य तुलसी; संपादक, मुनि नथमल, प्रका० जैन विश्व भारती, लाडनूं, वि० सं० २०३१ । आचारांग चूला-वही; पृ० ८१-२५० आवश्यक-प्रका० आगमोदय समिति, बम्बई; वि० सं० १९८४ । आवश्यकनिर्यक्ति-भद्रबाहु द्वितीय, उपरोक्त । इसिभासियम्उत्तराध्ययन-उत्तरज्झययाणि, वाचना-प्रमुख आचार्य तुलसी; संपादक, मुनि नथमल, जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा, ३ पोर्चुगीज चर्च स्ट्रीट कलकत्ता-१, सन् १६६७। कुन्दकुन्द द्वादशानुप्रेक्षा-(१) षट्प्राभृतादिसंग्रह, पृष्ठ ४२५ से ४४२, सं० पन्नालाल सोनी प्रका० माणिकचन्द्र दि० जैन ग्रन्थमाला समिति, वि० सं० १६७७। (२) कुन्दकुन्द प्राभृत संग्रह, पृष्ठ १३६ से १५३. सं० पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री, प्रका० जैन संस्कृति संरक्षक संघ, शोलापुर; १९६०। दशवैकालिक-दसवेआलियं, वाचना-प्रमुख आचार्य तुलसी; संपादक, मुनि नथमल; जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा, ३. पोर्चुगीज चर्च स्ट्रीट, कलकत्ता-१; संवत् २०२० । दशाश्रुतस्कन्ध-मणिविजयगणि ग्रंथमाला, भावनगर, सं० २००१। द्रव्य-संग्रह-श्री नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती। द्वादशानुप्रेक्षा (स्वामी कार्तिकेयानुप्रेक्षा)-सं० ए० एन० उपाध्ये, एवं कैलाशचन्द्र शास्त्री, प्रका० श्री परमश्रुत प्रभावक श्रीमद् राजचन्द्र जैन शास्त्रमाला, श्री मद्रराजचन्द्र आश्रम, अगास, वि० सं० २०१६ | औपपातिक-ओववाइयं, वाचना-प्रमुख-आचार्य तुलसी; सम्पादक-मुनि नथमल; जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा, ३, पोर्चुगीज चर्च स्ट्रीट, कलकत्ताः गोभट्टसार (जीवकांड)-श्री नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती, अं० सं० जे० एल० जैनी, सेन्ट्रल जैन पब्लिशिंग हाउस, सन् १६२७ । धवला (षट् खंडागम)-वीरसेनाचार्य; सं० फूलचन्द सिद्धान्त शास्त्री, कैलाशचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री; प्रका०, भारत दिगम्बर जैन संघ, चौरासी, मथुरा; संवत् २००० से २०२२। नियमसार-श्रीमद् कुन्दकुन्दाचार्य, अनु० श्री मगनलाल जैन, प्रका० श्री सेठी दिगम्बर जैन ग्रंथमाला, ६२-६४, धनश्री स्ट्रीट, बम्बई-३, सन् १६६०।

Loading...

Page Navigation
1 ... 406 407 408 409 410