Book Title: Mahavir Parna Stavan
Author(s): Suyashchandravijay, Sujaschandravijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 1
________________ मार्च २००९ ५३ मुनि मालकृत श्रीमहावीरपारणास्तवन सं. मुनि सुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजयौ प्रभु वीरना जीवनचरित्रमा भावदान विषय उपर जीरण शेठ तथा पूरण शेठनुं दृष्टान्त घj ज प्रचलित छे. प्रभुनुं चौमासी तपनुं पारणु कोणे कराव्यु ? कया द्रव्यथी कयुं ? इत्यादि प्रसंगने प्रस्तुत कृतिमां कविओ खूब ज सुन्दरताथी वर्णव्यो छे. श ने बदले स नो प्रयोग अने अनुस्वारोनो छूटा हाथे करेलो प्रयोग अहीं ज्यां त्यां दृष्टिगोचर थाय छे. गाथा २९मां दान शब्द लहियानी भूलथी रही गयो लागे छे. गाथा-३० मां "तान दी(दि)यों जीणें वरनेजी'ने बदले "दांन तणी अनुमोदनाजी"आ पाठ नेमि विज्ञानकस्तूरसूरिभण्डार (सुरत)नी प्रतमां जोवा मळे छे. जे वधु सुन्दर लागे छे. लोंकागच्छनी परम्परामा १७मा सैकाना उत्तरार्धमा अने १८मा सैकाना पूर्वार्द्धमां मुनि माल नामना प्रसिद्ध कवि थया. जेमणे १८१०मां आषाढाभूति चोपाई, १८५५मां एलाचीकुमार छ ढालियु, १८२२मां इषुकार-कमलावतीनुं छ ढालियु, छ भाईनो रास इत्यादि पद्य साहित्यनी रचना करी छे. बीजा एक मालमुनि नामना कविले १६६३ पूर्वे अंजनासुन्दरीनी चोपाई रची. खास तो शब्द (माल-मुनि) ना स्थान परिवर्तन थता सर्जाती मूंझवणनो आ एक सुन्दर दाखलो छे. प्रस्तुत स्तवनमां कर्ताना नामोल्लेख सिवाय गच्छ-गुरु इत्यादि कोई पण माहिती मळती नथी. कर्ता- नाम 'मुनि माल' एम ज समजीओ तो ते लोकागच्छनी कृति गणाय, छतां विद्वानो विशेष प्रकाश पाडी शके. प्रस्तुत कृति जीरावलाजी भण्डार (घाटकोपर) स्थित हस्तप्रतभण्डारनी छे. बीजी प्रत नेमिविज्ञान-कस्तूरसूरिजी भण्डार सुरतना संग्रहनी छे. परंतु अशुद्ध होवाथी मुख्य पाठान्तरो ज नोंध्या छे. प्रत आपवा बदल भण्डारना व्यवस्थापकोनो आभार. --X Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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