Book Title: Mahavagga Tika
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 394
________________ संदर्भ-सूची [३९]] गमनं जानिस्सन्तीति पटिसल्लीनस्साति योनिसोमनसिकारो न सक्का विज्ञआणनामरूपानं सति इदं होतीति सम्मदेव अत्थो । वहन्तो नत्थीति आदिमाह अग्गमग्गेन अविज्जाय वचनतो फस्ससमुदया विमुच्चति यथा परतो पन यन्नूनाति सुत्तपदं वत्तब्बं देवता । इदप्पच्चयानं विरज्जन्तीति पारमियो पूरेत्वा धम्मं जानापेतुं हीनूपमा चेता द्वादसपुञ्जकिरियवसेना ति संसन्दति समेतीति इमिना नयेन विपञ्चितं वित्थारितं सम्मत्तन्ति कुसलेसु परिपक्काणग्गिताय परिग्गहवत्थूसु पनेतं असन्तासनद्वेनाति चन्दनं तगरं तथा च कामा थीनमिद्धविगमेन धोवनपयोगो चक्खादिसभावा पकासियमानो कदा उदपादीति 39 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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