Book Title: Mahabharat Samhita Part 03
Author(s): Bhandarkar Oriental Research Institute
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute
View full book text ________________ 8. 3.9] महाभारते [8. 4. 21 ततो ध्यात्वा चिरं कालं निःश्वसंश्च पुनः पुनः। अधं निहत्य सैन्यस्य कर्णो वैकर्तनो हतः॥६ स्वान्पुत्रान्गर्हयामास बहु मेने च पाण्डवान् // 9 विविंशतिर्महाराज राजपुत्रो महाबलः / गर्हयित्वात्मनो बुद्धिं शकुनेः सौबलस्य च। आनर्तयोधाशतशो निहत्य निहतो रणे // 7 ध्यात्वा च सुचिरं कालं वेपमानो मुहुर्मुहुः // 10 अथ पुत्रो विकर्णस्ते क्षत्रव्रतमनुस्मरन् / संस्तभ्य च मनो भूयो राजा धैर्यसमन्वितः। क्षीणवाहायुधः शूरः स्थितोऽभिमुखतः परान् // 8 पुनर्गावल्गणिं सूतं पर्यपृच्छत संजयम् // 11 घोररूपान्परिक्लेशान्दुर्योधनकृतान्बहून्। . यत्त्वया कथितं वाक्यं श्रुतं संजय तन्मया। प्रतिज्ञा स्मरता चैव भीमसेनेन पातितः॥९ कञ्चिदुर्योधनः सूत न गतो वै यमक्षयम् / विन्दानुविन्दावावन्त्यौ राजपुत्रौ महाबलौ। हि संजय तत्त्वेन पुनरुक्तां कथामिमाम् // 12 कृत्वा नसुकरं कर्म गतौ वैवस्वतक्षयम् // 10 एवमुक्तोऽब्रवीत्सूतो राजानं जनमेजय। सिन्धुराष्ट्रमुखानीह दश राष्ट्राणि यस्य वै। हतो वैकर्तनो राजन्सह पुत्रैर्महारथैः / वशे तिष्ठन्ति वीरस्य यः स्थितस्तव शासने // 11 भ्रातृभिश्च महेष्वासैः सूतपुत्रैस्तनुत्यजैः // 13. अक्षौहिणीर्दशैकां च निर्जित्य निशितैः शरैः। दुःशासनश्च निहतः पाण्डवेन यशस्विना। अर्जुनेन हतो राजन्महावीर्यो जयद्रथः / / 12 पीतं च रुधिरं कोपाद्भीमसेनेन संयुगे॥१४ तथा दुर्योधनसुतस्तरस्वी युद्धदुर्मदः। इति श्रीमहाभारते कर्णपर्वणि वर्तमानः पितुः शास्त्रे सौभद्रेण निपातितः // 13 - तृतीयोऽध्यायः // 3 // तथा दौःशासनिर्वीरो बाहुशाली रणोत्कटः / द्रौपदेयेन विक्रम्य गमितो यमसादनम् // 14 वैशंपायन उवाच / किरातानामधिपतिः सागरानूपवासिनाम् / एतच्छ्रुत्वा महाराज धृतराष्ट्रोऽम्बिकासुतः। देवराजस्य धर्मात्मा प्रियो बहुमतः सखा // 15 अब्रवीत्संजयं सूतं शोकव्याकुलचेतनः // 1 भगदत्तो महीपालः क्षत्रधर्मरतः सदा। दुष्प्रणीतेन मे तात मनसाभिप्लुतात्मनः / धनंजयेन विक्रम्य गमितो यमसादनम् // 16 हतं वैकर्तनं श्रुत्वा शोको मर्माणि कृन्तति // 2 तथा कौरवदायादः सौमदत्तिर्महायशाः। कृतास्त्रपरमाः शल्ये दुःखपारं तितीर्षवः / हतो भूरिश्रवा राजशूरः सात्यकिना युधि // 17 कुरूणां सृञ्जयानां च के नु जीवन्ति के मृताः॥३ | श्रुतायुरपि चाम्बष्ठः क्षत्रियाणां धनुर्धरः। संजय उवाच / चरन्नभीतवत्संख्ये निहतः सव्यसाचिना // 18 हतः शांतनवो राजन्दुराधर्षः प्रतापवान् / तव पुत्रः सदा संख्ये कृतास्त्रो युद्धदुर्मदः। हत्वा पाण्डवयोधानामर्बुद दशभिर्दिनैः॥ 4 दुःशासनो महाराज भीमसेनेन पातितः॥१९ ततो द्रोणो महेष्वासः पाञ्चालानां रथव्रजान्। यस्य राजनगजानीकं बहुसाहस्रमद्भुतम् / निहत्य युधि दुर्धर्षः पश्चाद्रुक्मरथो हतः // 5 सुदक्षिणः स संग्रामे निहतः सव्यसाचिना // 20 हतशिष्टस्य भीष्मेण द्रोणेन च महात्मना। / कोसलानामधिपतिर्हत्वा बहुशतान्परान् / -- 1644 -
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