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अंतरपरूवणा ज० ज० ए० । णqसगदंडओ ज० सादभंगो। अज० ओघं । सेसाणं ज० सादभंगो। अज० ओघं अप्पप्पणो । अणाहार० कम्मइगभंगो । एवं जहह्मणयं समत्तं ।
एवं अंतरं समत्तं ।
भागबन्धका जघन्य अन्तर एक समय है। नपुंसकवेददण्डकके जघन्य अनुभागबन्धका भङ्ग सातावेदनीयके समान है। अजघन्य अनुभागबन्धका अन्तर ओघके समान है। शेष प्रकृतियों के जघन्य अनुभागबन्धका अन्तर सातावेदनीयके समान है। अजघन्य अनुभागबन्धका अन्तर अपने-अपने ओघ के समान है। अनाहारक जीवोंमें कार्मणकाययोगी जीवोंके समान भङ्ग है।
विशेषार्थ-आहारक मार्गणामें सर्वप्रकृतियोंका जघन्य स्वामित्व ओघके समान है और इसका उत्कृष्ट काल अङ्गलके असंख्यातवें भाग प्रमाण है। इन दो विशेषताओंको ध्यानमें लेकर यह अन्तरकाल घटित कर लेना चाहिए।
इस प्रकार जघन्य अन्तरकाल समाप्त हुआ।
इस प्रकार अन्तरकाल समाप्त हुआ।
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