Book Title: Maha pundit Todarmal
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Z_Tirthankar_Mahavir_Smruti_Granth_012001.pdf

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Page 6
________________ को उन्होंने छुआ उसमें "क्यों" क' प्रश्नवाचक समाप्त भी थे / उनका यह चिन्तन समाज की तत्कालीन परिहो गया है / शैली ऐसी अद्भुत है कि एक अपरिचित स्थितियों और बढ़ते हुए आध्यात्मिक शिथिलाचार के विषय भी सहज हृदयंगम हो जाता है। सन्दर्भ में एकदम सटीक है। पडितजी का सबसे बड़ा प्रदेय यह है कि उन्होंने लोकभाषा काव्यशैली में 'रामचरित मानस' लिखसंस्कृत, प्राकृत में निबन्ध आध्यात्मिक तत्वज्ञान को कर महाकवि तुलसीदास ने जो काम किया, वही काम भाषा-गद्य के माध्यम से व्यक्त किया और तत्व विवेचन उनके दो सौ वर्ष बाद गद्य में जिन आध्यात्म को लेकर में एक नई दृष्टि दी। यह नवीनता उनकी क्रान्तिकारी पंडित टोडरमलजी ने किया। हाट में है। जगत के सभी भौतिक द्वन्द्वों से दूर रहनेवाले टीकाकार होते हुए भी पंडितजी ने गद्यशैली का निरन्तर आत्मसाधना व साहित्य-साधनारत इस महानिर्माण किया है। डॉ. गौतम ने उन्हें गद्य निर्माता मानव को जीवन की मध्यवय में ही साम्प्रदायिक स्वीकार किया है। उनकी शैली दृष्टान्तयुक्त प्रश्नो- विद्वेश का शिकार होकर जीवन से हाथ धोना पड़ा। तरगयी तथा सुगम है / वे ऐसी शैली अपनाते हैं जो इनके व्यक्तित्व और कतत्व के सम्बन्ध में विशेष न तो एकदम शास्त्रीय है और न आध्यात्मिक सिद्धियों और चमत्कारों से बोझिल / उनकी इस शैली का जानकारी के लिए लेखक के शोध प्रबन्ध "पंडित टोडरमल : व्यक्तित्व और कतत्व का अध्ययन करना चाहिये / सर्वोत्तम निर्वाह मोक्षमार्ग प्रकाशक में है / तत्कालीन स्थिति में गद्य को आध्यात्मिक चिन्तन का माध्यम इनको भाषा का नमूना इस प्रकार है :-- बनाना बहुत सूझबूझ और श्रम का कार्य था। उनकी "तातें बहर कहा कहिए" जैसे रागादि मिटावने शैली में उनके चितक का चरित्र और तर्क का स्वभाव का श्रदधान होय सो ही सम्यग्दर्शन है। बहरि जैसे स्पष्ट झाकता है। एक आध्यात्मिक लेखक होते हुए रागादि मिटवाने का जानना होय सोही सम्यज्ञान है। भी उनकी गद्यशैली में व्यक्तित्व का प्रक्षेप उनकी बहरि जैसे रागादि मिटे सोही सम्यकचारित्र है। ऐसा मौलिक विशेषता हैं। ही मोक्षमार्ग मानना योग्य है।18 उपयुक्त विवेचन से स्पष्ट है कि पंडित टोडरमल के वल न टीकाकार थे बल्कि आध्यात्म के मौलिक विचारक 16. प्रकाशक : पंडित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, ए-4, बापूनगर, जयपुर-41 17. मोक्षमार्ग प्रक.ठाक, पृष्ठ-313 / 670 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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