Book Title: Lokprakash Part 04
Author(s): Kunvarji Anandji Shah
Publisher: Namaskar Aradhak Trust, Mumbai
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કાળલોક - પૂવાર્ધ
MAHILA
SAMANYAAN
OMBINISA
॥ श्री दशविध चक्रवालसामाचारीरथ ॥२॥ मणगुत्तो सन्नाणो, पसमियकोहो य इरियसमिओ य ।। पुढविजिए रक्खंतो, इच्छाकारी नमोतस्स ।।१।। गुत्तिनाणाइतिगं, पसमियकोहाइ समिइपणगंच ।। भोमाइरक्खेतो, चक्कसमायारिजुत्तोय ॥२॥ ईच्छा मिच्छा तहक्कारो, आवस्सिया य निसीहिया। आपुच्छा पडिपुच्चा, छंदनिमंतोवसंपया ॥३॥
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तणुगुत्ती
९०००
5000
मणगुत्ती वयगुत्ती १००० सनाणी
सद्दिठ्ठी २०००
सच्चरणी
२०००
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OcOCOCOMe
पसमिय को होय ५००
पसमिय माणोय ५००
चरिदि
पचिदि मिवंता
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एक्खता
अजीय
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५०
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ड्राग्य
२०००RAKASw पसमिया पसमिय मायाय लोहोय ५००
५०० . .. .. .
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. एसणागिहणिविख
परिठवण समिओय | वणसमिओय समिओय 100 १००
--4 .- ----- --- --- तेउजिए || वाउजिएवणस्सइजिए रक्खता । रक्खतो रक्खतो
॥ नमोतस्स-१ //नमातर
छेदणकारी काग निमोतस्स -९/
निमंतण नमो -९
भासा समिओय १००
समिओय १००
विदि
१००
रक्खतो
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आपुन्छकारी // डिपन नमोतस्स-६// नमोतय
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'पुढविजिए। आउजिए रक्खतो । रक्खतो
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१०.
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ईच्छाकारी/मिच्छाकारी तहत्तिकारी|| आवस्सिया नमो तस्स नमो तस्स नमोतस्स कारीनमो
निसिहिया नमो तस्स
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तप्प्य
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NAMAS
૫૨૫
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