Book Title: Logassa Ek Sadhna Part 01
Author(s): Punyayashashreeji
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh Prakashan

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Page 2
________________ लोगस्स भक्ति साहित्य की एक अमर, अलौकिक, रहस्यमयी और विशिष्ट रचना है। वर्ण-विन्यास, वाक्य-रचना, अभिव्यक्ति, सौष्ठव, मंत्रात्मकता इत्यादि अनेक कारणों से यह चतुर्विंशतिस्तव अभिप्रिय और सतत् स्मरणीय रहा है। इसकी अर्हता अचिन्त्य है। ज्ञानियों ने इसे ज्योति सूत्र कहा है। यह समाधि का बीजमंत्र है। अलौकिक सिद्धियों का भंडार है। यह एक दिव्य साधना भी है, स्वाध्याय, स्तुति, ध्यान, मंत्र, उपासना और आराधना भी है। चौबीस तीर्थंकरों की स्तुति में निर्मित इस लोगस्स महामंत्र को चैतन्य करें और आत्मसिद्धि के पथ पर अग्रसर बनें, ही स्तुत्य है। चैतन्य की अमृतकथा, लोकमंगल की भावना, अमृतत्व की खोज व प्राप्ति ही इस कृति को लिखने का उद्देश्य रहा है।

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