Book Title: Life Style
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 11
________________ आओ दिल की बात करें... ।। जागरह णरा णिच्चं ।। Jain Education International शायद किसी ने मेरा कोई नुकसान किया हो... मेरे लाभ में बाधा पहुँचाई हो... मेरे विरुद्ध कुछ कहा हो... मेरी निन्दा की हो... मेरा कहना नहीं माना... मेरा अपमान किया... मेरे मत का विरोध किया... मेरे लिए गलत धारणाएं तैयार कर ली... बस इन्हीं कारणों से मन आक्रोश और आवेग से भर जाता है... तब मैं पर - निन्दा में फँसकर मेरे क्षमा भाव को भुला देता हूँ... मुझे जागृत रहना है कि इन सब प्रसंगों पर मेरा मन दुःखी नहीं हो और मैं उन सबको क्षमा कर सकूं.... लगाओ देर न अब दिल को साफ करने में। • भलाई सबकी है सबको माफ करने में || For Private & Personal Use Only एम् www.jainelibrary.org

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