Book Title: Kya Jinpuja Karna Paap Hai
Author(s): Abhayshekharsuri
Publisher: Sambhavnath Jain Yuvak Mandal

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Page 23
________________ जरा सोचिए यदि गुरुदेव की फोटोका दर्शन धर्मक्रिया है, तो परमात्मा की प्रतिमाका दर्शन पाप कैसे माना जा सकता है ? यदि गुरुदेवके प्रवेश का जुलुस निकालना यह धर्म है, तो परमात्मा की रथयात्रा निकालना पाप क्यो है ? यदि गुरुदेवके दर्शन / वन्दन के लिये दूर तक जाना धर्म है, तो तीर्थयात्रा के लिये दूर जाना पाप क्यो है ? यदि स्थानक बनाना धर्म है, तो मंदिर बनाना पाप क्यो है यदि स्त्री का चित्र राग उत्पन्न करता है, तो परमात्मा की प्रतिमा वैराग्य क्यों उत्पन्न नहीं कर सकती? यदि परमात्मा का नामस्मरण सम्यग्दर्शन प्राप्त करा सकता है, तो परमात्माकी पूजा क्यों नही करा सकती? यदि साधर्मिक की अनेक द्रव्यों से भक्ति करना धर्म है, तो परमात्माकी अनेक प्रकारकी द्रव्यपूजा धर्म क्यो नही ? यदि हिंसा के नाम पर पूजा का निषेध किया जाता है, तो जहाँ पर हिंसा है ही, ऐसे स्थानकका निर्माण, साधर्मी भक्ति आदि सभी का निषेध करना पडेगा । सौजन्य • श्री. संभवनाथ जैन युवक मंडळ, करचेलीया श्री पालीबेन हस्तीमलजी शाह (मोकलसरवाला)ह.भावेश ईश्वरभाई शाह • श्री.भरतभाई कांतिलाल दोशी, जतन अपार्ट, मलाड • श्रीमती मंजुलाबेन धनसुखलाल शाह, नवसारी, ह. सुनिलभाई (सी.ए) श्रीमती कमळाबेन रिखबचंद महेता परिवार, ह. चंपकभाई नवसारी • श्री.श्रेयांस विजयभाई जैन, (जयपूरवाला) हाल नवसारी • श्री. जैन युवक मंडळ, पालघर (वे.) जि.थाना .श्री.आशिष किशोरभाई अमृतलाल, कठोर

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