Book Title: Kumarpal Prabandh Author(s): Jinendrasuri, Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala View full book textPage 2
________________ प्रकाशिका-श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला । लाखाबावल-शांतिपुरी (हालार) गुजरात मारपाला वीर सं. २५१३ वि. सं. २०४३ सने १९८६ प्रथमावृत्तिः ७५० प्रतयः प्रबन्धः ॥२॥ ।' आभार दोन ॥ P : विशाल जैन श्रुतसाहित्य अप्राप्य थतुं जाय छे नवं छपातुं नथी छापेल अलभ्य जीर्णप्राय बनतुं जाय, छे. ते IR माटे अमारी संस्थाए प्राचीन साहित्य प्रकाशन योजना द्वारा आ साहित्य प्रकाशित करवान चालु कयु छे अने खूब ज सारो सहयोग प्राप्त थतो जाय छे. आ साहित्य सहकार आपनार तरफथी प्रगट करीने भेट तरीके श्री संघो । EX तथा पूज्य मुनिराजो आदिने वितरण करवामां आवे छे. आ योजनामां कोल्हापुर-शाहुपुरीना श्री संघे आपेल उदार सहायथी आ कुमारपाल प्रबंध प्रगट करवामां आवे छे ते पन्न माटे आ श्री संघनो आभार मानीए छीए. तेमना तरफथी आ पूर्वे धर्मबुद्धि मंत्री रास पण प्रगट करवामां आव्यो छे. 19 आ रीते भाविक संघो अने भाविको सहकार आपता रहे तो घणुं प्राचीन साहित्य प्रगट करी शकाय. ता. १-१२-८६ लि. महेता मगनलाल चत्रभुज शाक मारकेट सामे, जामनगर (गुजरात) व्यवस्थापक-श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला मुद्रक-सुरेश के. शेठ. सुरेश प्रिन्टरी-बढवाण शहेर ॥२॥ ETTIXXXPage Navigation
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