Book Title: Khartar Gacchha Bruhad Gurvavali
Author(s): Jinpal Upadhyaya, Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 136
________________ खरतरगच्छगुर्वावलीगतविशेषनाम्नां सूचिः। ५८ ४४. ४ ० ० mmmm २ . ० ४४ रुणा [ग्राम ] ६३, ६६ । लब्धिनिधान गणि वयरस्वामी ७३, ८२ रुणापुरी [ग्राम] लब्धिनिधान महोपाध्याय ८५-८८ वरकीर्ति [ क्षुल्लक] रुणापुरीय [ संघ] लब्धिमाला [ साध्वी] वरडिया [ग्राम] रुदओली [नगर लब्धिसुन्दर [ क्षुल्लक] वरणाग गणि [वा०] रुदपाल [ सा० ] ६६, ६९, ७१, ललितकीर्ति [ क्षुल्लक ] वरदत्त [ मुनि ] ७५, ७७, ७९, ८० ललितप्रभ [ मुनि] वरदत्त गणि [वा०] रुद्दपल्ली [ गच्छ ] ९२ ललितश्री [ क्षुल्लिका] वर्धमान [ मुनि ] रुद्रपल्ली [ ग्राम ] १७, १८,२०,२१ लवणखेटक [ नगर] वर्धमान सूरि १, ३, ५, ८२ रूदा [सा०] ६५ लाखण [ सा०] ७३, वर्धमानचन्द्र [मुनि] रूपचन्द्र [सा०] ५१, ६१ लाखू [ सा०] वर्द्धमानाचार्य रूपा [ सा०] ७२, ८३, ८४ लाटहृद [ग्राम ] वश्याय [गोत्र नाम] रूवाक [सा०] लाडणुवाड, वस्तुपाल [ महामात्य ] ४९,६२,७८ रोहद [ग्राम ] ६६, ६८ लाभनिधि [मुनि] वस्तुपाल [ सा०] ७३ रोहण्ड [कुल; वंश !] लारवाहण [ग्राम] वागड [ देश ] १२,१७-१९, रोहंड [ सा०] लारवाहणीय [ संघ] ३४,६०, ६५,६६,६८, ९१ लक्षणपञ्जिका [ग्रन्थ] लाले [श्रा०] वागीश्वर [ पंडित] २५ लक्ष्मीकलश [ मुनि] लीलावती कथा [ ग्रन्थ] वाग्गड [ देश] लक्ष्मीतिलक उपाध्याय ५५ लूणसीह [ सा०] वाग्गडीय [ संघ] ४४,५०,५२ लक्ष्मीतिलक गणि ४९, ५१ लूणा [ भण.] ६३, ७७ वाग्भट मेरु [ग्राम ] ५०,८०८६ लक्ष्मीधर [भां०] लूणा [सा०] वाग्भट मेरवीय [ संघ] ५७, ८० लक्ष्मीधर [ यवहरक, सा०] ४४ लूणाक [ भण.] वाछिग [सा०] १४ लक्ष्मीधर [व्य०] ४३, ४४ लूणिगविहार [ मन्दिर ८७ वाणारसी [ नगरी] ६०, ९५ लक्ष्मीवर [ सा०] ४९, ८५ लूणीवडी [ग्राम] ७२ वादली (दिल्ली) लक्ष्मीनिधि [ महत्तरा] ५०, ५२ लोहट [ठ०] वादस्थल [ग्रन्थ ] लक्ष्मीनिवास [मुनि] ५२ लोहट [ सा०] ७९ वादस्थान [ग्रन्थ ] लक्ष्मीनिवास गणि लोहड [ सा०] वाधू [सा०] लक्ष्मीमाला [गणिनी] लोहदेव [ सा०] ६०, ६४ वायड [ग्राम] ६३, ७३, ७८ लक्ष्मीमाला [साध्वी] ५५ । वज्रस्वामी ६६, ७५, ७७, ७८ । वालाक [ देश] ७४ लक्ष्मीराज [मुनि] ५२ वटपद्रक [ नगर] वासल [ सा०] १६, १८ लख(क्ष) ण [रङ्गाचार्य, सा०] ७७ वत्थड [ सा०] ५० वा(बा)हडमेर [ नगर] ९२ लखण [ सा०] ६४, ८४ वद्धमाणसूरि ८९, ९० विक्रमपुर [ नगर ] १३, १८-२०, लखम [सा०] वद्रदहा [ग्राम ] २३, २४, ३३, ३४, ४४, लखमसिंह [ सा०] ५९,७३ । वयजल [सा०] ५६, ७८ ५२, ५८ लखमा [सा०] वयरसिंह [ मं०] ८८ विक्रमपुरीय [ संघ] ५८ लब्धिकलश [ मुनि ] | वयरसिंह [सा०] ६५, ६६,८२ विगतदोष [मुनि ] ६३ ६६ २२ ६१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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