Book Title: Kavya Prakash Part 02
Author(s): Mammatacharya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan

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Page 162
________________ 24] काव्यप्रकाशवाचनायाः पाठान्तराणि बुध्यते 332 B 333 B °पि लक्षितुं 334 B यदप्रस्तुतपदार्थेन 3350 संपृक्तमप° 336 B तत्सामान्यम् । उदा 337 B. C. निबन्धनात्सामान्य 338 B omits रस 339 B रन्यूनातिरिक्ततया 340 B भावेन नानयोरुप 341 B विशिष्ट 3420 वअणेसु 3430 अह्नारि Read no. 343 on अम्हा 344A उवास उवासं ओआसो Read no. 344 on उवासो 3450 णत्थि Read no. 345 on कत्थ 3460 पावाणम् Read no. 346 on qatur 347 B. C. यद्दपि किंचि 348 B सोप्यपरो 349 0 सखी 3500 त्वां वद किं 351 B सर्वत्र चैवंविधे विषये सर्वत्रैवंविध 352 B °लंकाररूपत्वायोगात् 3530 सर्वत्र Read no.353 on सर्वैव 354 B कविना कार्यः 355 B.O. रुचारुचं 356 B. C. प्रगुणवर्णता 357 B omits तत् 358 c जहवि 359 A • तए B. C. तुए 360 B हिभयं हिअअम् 361 B.C. राम 3620 सुअहणि 363B अत्रातिरिक्तेनापि 364 B omits प्रकृतेन 365 B drops इति 366 B. C. गाङ्गमम्बु 367 B जिगीषुतया 3680 यदेकत्र 3690 संसृष्टिर्यथा 3700 कुसुमसौरभ 3710 संसृष्टिस्तु 372 B दृष्टिनिष्फलतां 373 B omits तु . Read no. 373 on °योस्तु 374 B. C. एत्थ 375 B. C. एवं 376 B. C. लाअण्णम् 377 C परिसप्पन्ती 378 c णिवारेइ 3790 एत एव यदात्म 3800 सीमन्तरले 381 B. C. ताटङ्क 382 0 °चेतसां प्रभूतचमत्कृति 383 B. C. मित्खनयोरङ्गा 384 B मिति च रूपक 385 B रूपकत्वेन तिरो Read no. 385 on रूपकत्वे. 386 - B omits रूप 387 B योग्यतया 3880 शशाङ्केन केवलं कलाकस्य 389 B पि दृश्यते 390 B. C. °विरत 391 B लोमं प्रतिलोमं च 392 B. C. युगपदवस्थानम् । न 393 B परिहारे वा बाधक 394 0 एव परिगृह्येत 3950 गहिरो 396 B रमण 0 रअण्ण 397 B. C. णिम्मल 398 B तह किं

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