Book Title: Karmaprakrutigatmaupashamanakaranam
Author(s): Shivsharmsuri, Gunratnasuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti

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Page 331
________________ Jain Education International आवरण पृष्ठ २ के चित्र का परिचय इस चित्र में ओक पहाड बताया है। उसके ऊपर ११ सोपान (Steps) बताये हैं । संसार रूपी पहाड के पहले सोपान मिथ्यात्व गुणस्थानक से कोई आत्मा कूदकर चौथे सोपान अविरतसम्यग्द्दष्टि गुणस्थान को प्राप्त करती है। कोई आत्मा पांचवे सोपान देशविरत गुणस्थानक को प्राप्त करती है। कोई आत्मा छट्ट सोपान प्रमत्त विरत गुणस्थानक को प्राप्त करती है । कोई आत्मा सातवे सोपान अप्रमत्त गुणस्थानक को प्राप्त करती है। इसमें गृहस्थ चौथे सोपान पर चढता हुआ बताया है । क्योंकि चौथे गुणस्थानक पर गृहस्थ होता है । कोई आत्मा जब उपशम श्रेणि प्रारंभ करती है । तब आठवें सोपान अपूर्वकरण गुणस्थानक से नौवें गुणस्थानक अनिवृत्ति बादर गुणस्थानक पर चढते मुनिराज बताये हैं। उसके बाद क्रमशः १० वें सूक्ष्मसंपराय गुणस्थानक व ११ वें उपशांतमोह गुणस्थानक पर चढते हैं। अन्तर्मुहूर्त के बाद ११ वे उपशांतमोह गुणस्थानक से नीचे उतरते हुए १० वे सूक्ष्मसंपराय गुणस्थानक पर आते है । उसके बाद ९,८,७ वे गुणस्थानक पर उतरते हुए आते हैं। यदि कोई आत्मा आयुष्य पूर्ण होने पर मर जाती है, तो वह अवश्य वैमानिक देव बनती है। इसलिये सोपान के ऊपर देवविमान बताया गया हैं । - For Pr & Personal Use Only - www.jainelibrary.org

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