Book Title: Karm Vignan Part 04
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

View full book text
Previous | Next

Page 554
________________ ५०६ कर्म-विज्ञान : भाग ४ : ग्रन्थ-सूची सन्दर्भ हेतु प्रयुक्त ग्रन्थ-सूची अखण्ड ज्योति : फरवरी १९७६ अगस्त १९७८ आत्म-तत्व विचार आत्मानुशासन आप्तमीमांसा ( आचार्य समंतभद्रं) अभिधान राजेन्द्र कोष अमर भारती (अक्टूबर-नवम्बर ८४ ) ( उपाध्याय अमरमुनिजी का द्रव्यभाव चतुर्भंगी लेख ) अस्तेय दर्शन (उपाध्याय अमर मुनि ) आचारांग सूत्र आवश्यक सूत्र आवश्यक टीका आवश्यक नियुक्ति आवश्यक निर्युक्ति हारि० वृत्ति उत्तराध्ययन सूत्र उत्तराध्ययन पाइय टीका उपासकदशांग सूत्र ओघनियुक्ति औपपातिक सू अन्तकृद्दशांग सूत्र कम्मपयडी (मूल व टीका) कर्म अने आत्मानो संयोग (श्री अध्यायी) कर्म ग्रन्थ : भाग ५ (विवेचन - पं. कैलाशचन्द्रजी) कर्मग्रन्थ : भाग ६ ( प्रस्तावना : पं. फूलचन्द्र जी सिद्धान्त - शास्त्री) कर्मग्रन्थ भाग १, ५, ६ (विवेचन - मरुधरकेसरी जी म. ) Jain Education International कर्म प्रकृति (मलयगिरि टीका) कर्म प्रकृति (विजयजयन्तसेनसूरि ) कृ कर्म फिलोसोफी (गुजराती) ( व्याख्या : विजयलक्ष्मणसूरीजी) कर्मरहस्य (जिनेन्द्र वर्णी जी) कर्मवाद कर्मवाद : पर्यवेक्षण ( आचार्य देवेन्द्र मुनि) कर्म विपाक (मरुधर केसरी जी ) कर्म - विपाक (स्वोपज्ञवृत्ति) कर्म - विज्ञान, भाग १, २, ३ ( आचार्य देवेन्द्र मुनि) कर्म-सिद्धान्त ( जिनेन्द्र वर्णी जी ) कल्याणमन्दिर स्तोत्र कषायपाहु कषायप्राभृत कामसूत्र कार्तिकेयानुप्रेक्षा. गीता (भगवद्गीता ) गोम्मटसार ( जीवकाण्ड, कर्मकाण्ड ) ( नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती रचित) चारित्र प्राभृत चेतना का ऊर्ध्वारोहण जीवप्राभृत वाभिगम सूत्र जवाहर किरणावली जिनवाणी, सितम्बर १९९० अंक जैन कर्म सिद्धान्तः तुलनात्मक अध्ययन (डा. सागरमल जैन) For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 552 553 554 555 556 557 558