Book Title: Kappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 03
Author(s): Bhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman, 
Publisher: Shubhabhilasha Trust

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Page 16
________________ भासगाहा-५६८२-५६९६] पंचमो उद्देसो ८५९ वा इस्सरो वा धम्मस्सवणयाए एज्ज । तस्स य धम्मो अवस्स कहियव्वो । विसेसेण य तस्स कहिज्जइ । अत्राह-किं कारणं महिड्डीयस्स अवस्सं धम्मो कहिज्जइ विसेसो वा किं कारणं किज्जइ ? तदुक्तम् - जहा पुण्णस्स कत्थइ तह तुच्छस्स कत्थइ। [आचा० श्रु०१ अ०२ उ०६] अत्रोच्यते कामं जहेव कत्थति, पुन्ने तह चेव कत्थई तुच्छे । वाउलणाय न गिण्हइ, तम्मि य रुढे बहू दोसा ॥५६९२॥ "कामं०" गाहा । कण्ठ्या । अहवा अन्नो कहेइ ताहे तुण्हिक्का अच्छंति, मा बोलेणं ण सुणेहिति । 'तम्मि य रुढे' त्ति । राईसरतलवरमादीए । 'आवस्स णिसिहिया य' त्ति एषां व्याख्या आवासिगाऽऽसज्ज दुपहियादी, वीसीयते चेव सवीरिओ वि । विओसणे वा वि असंखडाणं, आलोयणं वा वि चिरेण देती ॥५६९३॥ मेरं ठवंति थेरा, सीदंते आवि साहति पवत्ती। थिरकरण सड्डहेडं, तवोकिलंते य पुच्छंति ॥५६९४॥ आवासिगाऽऽसज्ज दुपहियादी, वीसीयते चेव सवीरिओ वि । विओसणे वा वि असंखडाणं, आलोयणं वा वि चिरेण देती॥५६९५॥ "आवासिगा" ["मेरं०" "आवासिगा०"] गाहा । जाव सामायारिं ठवेंति ताव चिरीभवति । जो वा कोइ सीदति तं कोइ साधू आयरियस्स कहेइ ताव सज्झायस्स पलिमंथो भवति । नवसढस्स वा थिरीकरणस्सट्ठाए धम्मो कहिज्जइ । जइ पुण आवस्सियादीहिं पमादेंताणं आयरियो उवेहं करेइ तो तमावज्जइ, पारलोइयं च आयरिएण न कयं भवइ इहलोइयसहायगत्तं च न कयं भवति । 'आलोए' त्ति अस्य व्याख्या सम्मोहो मा दोण्ह वि, वियडिज्जंतम्मि तेण न पढंति । पडिपुच्छे पलिमंथो, असंखडं नेव वच्छलं ॥५६९६॥ "सम्मोहो०" गाहा । आलोए त्ति जे भिक्खायरियाए गया ते आगंतुं जाव आलोएंति ताव पुव्वागयाणं परियट्टणवाघाओ, अह आलोएंताण वि परियट्टइ, आयरिया आलोइज्जंते कन्नवाघाएणं नावधारेंति, आलोएंतस्स वि वाघाओ भवइ । एवं सज्झायपलिमंथो भवइ । असंखडं कहं? उब्भामगभिक्खायरियाए आगया, अद्धाणपरिस्संत तसिता आलोयणाए उवढिओ इमो य पुव्वागतो । इमो पुव्वागतो पडिपुच्छणाए आदरं करेति, ताहे सोसंत-तिसित-भुक्खितो

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