Book Title: Kailaspadma Swadhyayasagara Part 7
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - अम्निमः : .: मंगल कामना (मने यह जानकर प्रसन्नता हूँ मि. कैलास-भ- स्वाध्यामसागर" की द्वितीय भावृत्ति प्रमाशिन लेनेजारही। "स्वाध्याय" संपमीजीवन का परम साभी एवं कल्माण मिनर । सपा ज्ञान के प्रभार में व्यक्ति अपने कार्य के परिणाम कोजानममतारें अपनी विकृति को संस्कृति में बदल सकता है। बासनाको भावमा में परिवर्तित करने की प्रक्रिया भीजान में द्वारा पिलन्योली / स्थायाम के माध्यम से मालातिन द्वारा मन के परिणाम मा गुधिरण ओतारे/ परिणाम दरोने पररी सिद्ध बनानासार) इस स्वाध्याय सागर का संकलन एवं संादन निदान मुनिश्री पभरला सागरजीम ने सियारी, पर प्रशंसनीयर समा! मिस पुस्तक में पटन- पाटन द्वारा अनेक मारमा विगत के पथ पर सानीजीमन थामा में स्वयंमा पूर्णविराम मात करने के योग्य बने। सुभेन:सादही भरनधर्मशला पभसागरसूरि पालीलागा (गुन्मान) दि.२३.१-०६ सिरसेन नई For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 120