Book Title: Kailaspadma Swadhyayasagara Part 2 Author(s): Padmaratnasagar Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba View full book textPage 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir serving jinshasan - अरीम् नमः : 132913 gyanmandir@kobatirth.org (मुझे या जान कर प्रसन्नता र मि. कैलास. भ. स्वाध्यायसार' की द्वितीय भावृत्ति प्रकाशित लेने जा रही। "स्वाध्याय" संयमीजीरन का परम साभी एकल्माण मित्ररे । सम्पर ज्ञान के प्रकार में व्यक्ति अपने कार्य के परिणाम कोजानममतारें अपनी विकृति को संस्कृति में बदल समताई। बासनाको भापमा में परिवर्तित करने की प्रक्रिया भीगन ने द्वारा पिलब्ध होती है। स्वाध्याय के माध्यम से मालचिंतन डारा मन के परिणाम का शुद्धिकरण लेतार | परिणाम राहदारोने पर सरी सिद्ध बनानासार। इस स्वाध्याय सागर का संकलन एवं संपदन निदान मुनिश्री माल सागरजीम ने लिया, नर प्रशंसनीयर) सभेमा मिस एस्तक में परन-पाठन द्वारा अनेक जामा विकास के पथ पर अपनी जीवन यात्रा में स्वयं का पूर्ण सिम भात करने के योग्य बनेणे। शुभेच्छुक:सादरीभरनधर्मशाला पभसागर मूरि पालीता (गुजरात) दि.२३.१.-.५ सिद्धक्षेत्र ननन वर्ष For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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