Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 6
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.६
४७३ दानशीलतपभावना कुलक, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: परिहरिय रजसारो; अंति: सो लहइ सिद्धिसुह,
वक्षस्कार-४, गाथा-८१.
दानशीलतपभावना कुलक-टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: परिहरिउंछांडिउं; अंति: मोक्षना सुखां प्रति. २६९८६. विविधतपविधि संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, ले.स्थल. विठोरानगर, प्रले. पं. चतुरसौभाग्य, प्र.ले.पु. सामान्य, जैदे., (२५४१२.५, १०-१२४३४-३७).
विविधतपविधि संग्रह, मा.गु.,सं., गद्य, आदि: गुरु कने अथवा थापना; अंति: खमासमण देईने कहीजै. २६९८९. (+) श्रुतबोध सह टीका व श्लोक संग्रह, संपूर्ण, वि. १८९३, पौष शुक्ल, ७, श्रेष्ठ, पृ. ११, कुल पे. २,
ले.स्थल. जेसलमेर, प्रले. मु. मूलचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र.वि. संशोधित-पदच्छेद सूचक लकीरें-टिप्पण युक्त विशेष पाठ., जैदे., (२५४१२.५, १२४३८-३९). १. पे. नाम. श्रुतबोध सह मनोरमा टीका, पृ. १अ-११आ, संपूर्ण.
श्रुतबोध, कालिदास, सं., पद्य, आदि: छंदसा लक्षणं येन; अंति: रग्धरा सा प्रसिद्धा, श्लोक-४१. श्रुतबोध-मनोरमा टीका, आ. हर्षकीर्तिसूरि, सं., गद्य, आदि: (१)श्रीमत्सारस्वतं धाम, (२)अहं तत् श्रुतबोधनाम;
अंति: मकरोद बालावबोधाय वै. २. पे. नाम. श्लोक संग्रह, पृ. ११आ, संपूर्ण.
सामान्य श्लोक*, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), श्लोक-४. २६९९०. स्तवन, स्तुति, सज्झाय आदि संग्रह, अपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. ६७-५९(१ से ५९)=८, कुल पे. १८, जैदे.,
गुटका, (२५.५४१३, २०४४१). १. पे. नाम. श्लोक संग्रह, पृ. ६०अ, अपूर्ण, पू.वि. मात्र अंतिम पत्र है.
सामान्य श्लोक*, सं., पद्य, आदि: (-); अंति: (-), (पू.वि. अंतिम ६ श्लोक है.) २. पे. नाम. नवग्रहदान विधि, पृ. ६०अ, संपूर्ण.
नवग्रहदान श्लोक, सं., पद्य, आदि: सवत्सालंकृताधेनु; अंति: पीडा निघ्नंति केतव, श्लोक-९. ३. पे. नाम. देवीरहस्यत्रय स्तव, पृ. ६०आ-६२अ, संपूर्ण.
सं., पद्य, आदि: भगवन् भवता रामे; अंति: सर्वं प्रयच्छति, अध्याय-३. ४. पे. नाम. शत्रुजयमुखमंडण श्रीयुगादिदैव स्तवन, पृ. ६२आ, संपूर्ण. आदिजिन स्तवन-३४ अतिशयगर्भित, मा.गु., पद्य, आदि: नाभिनरिंदमल्हार; अंति: अवर न काइ वांछीइ ए,
गाथा-२१. ५. पे. नाम. धर्माधर्मविचार सज्झाय, पृ. ६३अ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: चउदपूरवमाहे सार; अंति: कर्म जीव सुख हलंति, गाथा-१८. ६. पे. नाम. गौतमस्वामी विनती, पृ. ६३अ-६३आ, संपूर्ण.
गौतमस्वामी छंद, मा.गु., पद्य, आदि: गौतम आव्या वाद करेवा; अंति: गणे तिहां अविहड रंग, गाथा-७. ७. पे. नाम. दसश्रावक सज्झाय, पृ. ६३आ-६४अ, संपूर्ण. १० श्रावक सज्झाय, आ. नन्नसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १५५३, आदि: जिण चुवीसी करूं; अंति: कोरंटगछि पभणइ
ननसूरि, गाथा-३०. ८. पे. नाम. पार्श्वनाथ स्तवन, पृ. ६४आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन, मु. तेजपाल, मा.गु., पद्य, आदि: नवफण सोहि छत्राकारि; अंति: वरीय सविलछी सहिय, गाथा-६. ९.पे. नाम. नेमनाथ विनती, पृ. ६४आ, संपूर्ण.
नेमिजिन स्तवन, मा.गु., पद्य, आदि: भली भावना भेटिवा नेम; अंति: शुद्धि जगनाथ पूजइ, गाथा-६. १०. पे. नाम. क्षमाकुल सज्झाय, पृ. ६४आ-६५अ, संपूर्ण. उपशम सज्झाय, मु. विजयभद्र, मा.गु., पद्य, आदि: भवभंजण रंजण जगदेव; अंति: गर्भवासि० नही अवतरि,
गाथा-१३.
For Private And Personal use only

Page Navigation
1 ... 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612