Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 4
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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४८३
संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१
(३) कल्पसूत्र-कल्पलता टीका का बालावबोध @, मा.गु., गद्य, मूपू., (नत्वा श्रीमन्महावीर), १४८१३ (२) कल्पसूत्र-टीका @, सं., गद्य, मूपू., (प्रणम्य प्रणताशेष), १६४६८(+), १६६१६(+), १७२९५(+६), १५७७०(5) (२) कल्पसूत्र-सुबोधिका टीका, उपा. विनयविजय , सं., ग्रं. ६५८०, वि. १६९६, गद्य, मूपू., (प्रणम्य परमश्रेयस्कर), ___ १४४४६(+) (३) कल्पसूत्र-कल्पसुबोधिकाटीका का हिस्सा गणधरवाद वक्तव्यता, उपा. विनयविजय , सं., गद्य, मूपू., (वेदपदानि च
विज्ञान), <प्रतहीन>. (४) गणधरवाद-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (हिवे श्रीमहावीर), १६११०, १७०८८ (२) कल्पसूत्र-टबार्थ @, मा.गु., गद्य, मूपू., (अरिहंतनइ माहरो), १४७७७(+), १४७७९(+), १४८४९(+६), १५०७१(+),
१५४५४(+६), १५५४१(+६), १५५७१(+$), १६२१६(+5), १७२७६(+), १७२७९(+), १४६९४, १४७८६, १४७९८, १४८८१,
१६४६०, १७२७७, १५३९६(s), १५६१५-१(s), १५७०४६ (२) कल्पसूत्र-टबार्थ @, सं., गद्य, मूपू., (श्रीमद्वीरचरित्रबीज), १४५५३+६), १६६२६-२ (२) कल्पसूत्र-कल्पप्रदीप बालावबोध, मु. भानुविजय, मा.गु., वि. १७२४, गद्य, मूपू., (श्रीपार्श्व प्रणिपत), १४७७९(+) (२) कल्पसूत्र-बालावबोध, पं. कृपाविजय गणि, मा.गु., गद्य, मूपू., (नमो अरिहंताणं० इहां), १४७५३ (२) कल्पसूत्र-बालावबोध, मु. खीमाविजय, मा.गु., वि. १७०७, गद्य, मपू., (प्रणम्य श्रीमहावीरं), <प्रतहीन>. (३) कल्पसूत्र-बालावबोध-अनुवाद, पुहिं., गद्य, मूपू., (--), १४८०२(5) (२) कल्पसूत्र-बालावबोध, आ. शांतिसागरसूरि, मा.गु., गद्य, पू., (प्रणम्य परमं ज्योतिः), १७१०८ (२) कल्पसूत्र-बालावबोध @, मा.गु.,रा., गद्य, मूपू., (नमो अरिहंताणं), १४७७७(+), १६०५६, १४६५२(६), १५८६९(s),
१६१८१(६), १६४२७(5) (२) कल्पसूत्र-वार्तिक मांडणी, मु. लक्ष्मण, प्रा.,मा.गु., प+ग., मूपू., (नमो अरिहंताणं० ॐकार), १४८१०(+) (२) कल्पसूत्र-व्याख्यानकथा @, सं., गद्य, मूपू., (तत्रादौ श्रीऋषभदेव), १४८४९(45), १५०७१(+) (२) कल्पसूत्र-व्याख्यानकथा @, मा.गु., गद्य, मूपू., (नमः श्रीवर्द्धमानाय), १५४५४(+$), १५५७१(+$), १६२१६(+$),
१६३६२(+$), १७२७६(+), १७२७९(+), १६४६०, १७२७७, १५३९६ (६), १५६१५-१(s), १५७०४(६) (२) कल्पसूत्र-अंतर्वाच्य, मा.गु.,सं., गद्य, मूपू., (जयति जगदेकचक्षुः कमल), १६१८३(+) (२) कल्पसूत्र-कथा संग्रह @, मा.गु.,सं., गद्य, मूपू., (बलदेव बलिदेव वासुदेव), १५५४१(+5), १६६१६(+) (२) कल्पसूत्र-हिस्सा सामाचारी अध्ययन, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., प+ग., मूपू., (तेणं कालेणं तेणं समय), १६५०४ (३) कल्पसूत्र-हिस्सा सामाचारी अध्ययन-टीका, सं., गद्य, मूपू., (तस्मिन् काले तस्मिन्), १६५०४ (२) कल्पसूत्र-नवव्याख्यान सज्झाय, संबद्ध, मु. माणेक, मा.गु., सज्झा. ११, पद्य, मूपू., (पर्व पजुसण आवीया), १५३६३ (२) कल्पसूत्र-पीठिका, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (अहँत भगवंत उत्पन्न), १४५८३(+), १५८२५, १५८६४, १६६९५() (२) कल्पसूत्र-भास, संबद्ध, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., ढा. १७, पद्य, मूपू., (श्रीसरसति ध्याउं), १५६४१(६) कल्पावतंसिकासूत्र, प्रा., अध्य. १०, गद्य, मूपू., (जति णं भंते समणेणं०), १५५३४-२(+), १६३२४-२(+), १४८११-२,
१६३८९-२, १७२६७-२, १६६३३-२(#) (२) कल्पावतंसिकासूत्र-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (जौ हे भगवंत समण०), १५५३४-२(+), १४८११-२
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