Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 20
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 351
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org हो, गाथा - १२. ८४५९०. मरुदेवाना ढालिया, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ४, वे. (२७४१२.५, १२४३७). ३३६ ८४५८८ (+) ६२ मार्गणाइ ५६३ जीवना भेद, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. ४, प्र. वि. संशोधित. वे. (२६४१२.५, २७-२९४९-१४). ५६३ जीवभेद ६२ मार्गणा विचार, मा.गु., गद्य, आदि देवतानी गति १५ परमा; अंति: देवना ९९ अप्रजाता. ८४५८९ पार्श्वजिन स्तवन- चिंतामणि, संपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. १, दे. (२६.५४१२, १२४२९). , "" पार्श्वजिन स्तवन-चिंतामणि, मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: जिनपति अवनासी कासी; अंति: रूपविजय शिवराज ८४५९१. सेत्रुंजाजीनी गरबी, संपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. १, जैदे., ( २६.५x१२.५, १२X५२). Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मरुदेवीमाता चौढालिया, मु. रायचंद ऋषि, मा.गु., पद्य, वि. १८५५, आदि माताजी मरुदेवा रे; अंति: नितनित ज्ञान अभ्यास, ढाल-४. कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची शत्रुंजयतीर्थ स्तवन, पं. दीपविजय कवि, मा.गु., पद्य, वि. १८७७, आदि जे कोइ सिद्धगिरिराज; अति दीप० सुख साजने रे लो, गाथा १५. ८४५९२ शांतिजिन स्तवन, संपूर्ण वि. १९४८ माघ कृष्ण, ३, रविवार, श्रेष्ठ, पू. १, प्रले. अमरदत्त ब्राह्मण मेदपाटी, प्र.ले.पु. सामान्य, वे. (२६.५४१३, १३४३६) " शांतिजिन स्तवन, मु. भावसागर, पुहि., पद्य, आदि सेवा सांति जिनेसरु: अंति: संघ मंगलकारी बेलो, गाथा- १५. ८४५९३. कुमती सज्झाय, संपूर्ण वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. १, ये. (२७.५x१२, १२x२१). पदेशिक सज्झाय कुमति, मु. सुमति, मा.गु., पद्य, वि २०वी, आदि सुणजो साच कहुँ छु; अति सुमती अनुभवसेली जागी, गाथा - १३. ८४५९४ एकमतिथि व वीजतिथि स्तुति, अपूर्ण, वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. १, कुल पे. २, प्रले. श्राव. नाथालाल, प्र.ले.पु. सामान्य, दे., (२७X१२, १२X४१). १. पे. नाम. प्रतिपदानी स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण. एकमतिथि स्तुति, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: एक मिथ्यात असंयम; अंति: नितु नितु होइ लीलाजी, गाथा-४. २. पे नाम बीजतिथि स्तुति, पृ. १आ, संपूर्ण. आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., पद्य, आदि बीज जिनधर्मनुं बीज अंति: (-), (प्रतिपूर्ण, पू. वि. गाथा- २ लिखा है.) ८४५९५. छ आवश्यक, अष्टमीतिथि व मरुदेवानी सज्झाय, अपूर्ण, वि. २०वी, श्रेष्ठ, पृ. ४-२ (१ से २) = २, कुल पे. ३, प्र. वि. पत्रांक ६-७ को सुधारा गया है. दे. (२७४१३, ११४४०). १. पे. नाम. छ आवश्यक सज्झाय, पृ. ३अ, अपूर्ण, पू.वि. प्रारंभ के पत्र नहीं है. ६ आवश्यकविचार स्तवन, संबद्ध, उपा. विनयविजय, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: तेह सिवसंपद लहे, ढाल-६, गाथा- ४४, (पू.वि. गाथा- ४२ अपूर्ण तक नहीं है.) २. पे नाम. अष्टमीतिथि स्तवन, पृ. ३अ ४आ, संपूर्ण. अष्टमीतिथिपर्व स्तवन, मु. लावण्यसौभाग्य, मा.गु, पद्म, वि. १८३९, आदि: पंचतीर्थं प्रणमि सदा अति संघने कोडि कल्याण रे, बाल-४, गाथा - २४. ३. पे. नाम. मरुदेवानी सज्झाय, पृ. ४आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं. मरुदेवीमाता सज्झाय, मु. विनयविजय, मा.गु., पद्य, वि. १७३, आदि: मारुदेवि माता रे, अंति: (-), (पू.वि. गावा-५ अपूर्ण तक लिखा है.) (२७४१२, ११४४२). १. पे. नाम. अठावीसलब्धि स्तवन, पृ. १अ - २अ, संपूर्ण. ८४५९६ (+) अठावीसलब्धि स्तवन व शत्रुंजयतीर्थ स्तुति, संपूर्ण वि. २०वी श्रेष्ठ, पृ. २, कुल पे. २. प्र. वि. संशोधित. दे., "" For Private and Personal Use Only

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