Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 13
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 28
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.१३ ५२१५३. (+४) श्राद्ध आराधना व जीवराशि, संपूर्ण, वि. १९वी मध्यम, पृ. ४, कुल पे. २. प्रले. मु. कीर्तिसागर पंडित; अन्य श्राव दलीचंद, पूनमचंद, प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., (२५.५X११.५, १८४५५). १. पे. नाम. श्राद्ध आराधना, पृ. १अ ४अ संपूर्ण. आवकाराधना, सं., प+ग, आदि: श्रीसर्वज्ञं प्रपंपण, अंतिः लहंति ते सासवं सुखं. २. पे. नाम. जीवराशी, पृ. ४-४आ, संपूर्ण. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पद्मावती आराधना, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १७वी, आदि: हिव राणी पदमावती; अंति: कहे पा छुटे ततकाल, ढाल - ३, गाथा-३५. , " ५२१५४. (४) आखातीज व्याख्यान, संपूर्ण, वि. १९२८, वैशाख कृष्ण, ९, गुरुवार, मध्यम, पृ. ३ ले स्थल, वीकानेर, प्रले. पं. विनयसुंदर (कवलागच्छ), प्र.ले.पु. सामान्य, प्र. वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, वे (२४.५X१२.५, १८४४६). अक्षयतृतीयापर्व व्याख्यान, प्रा. रा. सं., गद्य, आदि उसभस्सव पारणए इक्खु, अंति: आतम कारज सार्या ५२१५५. (#) स्वाध्याय व स्तवन, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, प्र. वि. मूल पाठ का अंश खंडित है, दे., "y (२५X११.५, ३०x२०). १. पे. नाम. रहनेमीराजुल स्वध्याय, पृ. १अ, संपूर्ण. रथनेमिराजिमती सज्झाय, मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: काउसग ध्याने रहनेमी, अंति: चरण नमुं वारो वार रे, गाथा - ६. २. पे. नाम. शांतिनाथ स्तवन, पृ. १-१ आ. संपूर्ण. शांतिजिन स्तवन, मु. मोहनविजय, मा.गु., पद्म, आदि; सोलमा श्रीजिनराज उलग; अंतिः रंगस्यूं पंडित रूपनो, गाथा- ७. ५२१५६. स्तुति संग्रह, संपूर्ण, वि. १६वी, मध्यम, पृ. १, कुल पे. २, जैदे., (२५.५X१०.५, ११x४८). १. पे नाम तीर्थयात्रा स्तुति, पृ. ९अ, संपूर्ण ५ तीर्थजिन स्तुति, सं., पद्य, आदि: श्रीशत्रुंजय मुक्ष, अंति: ते संतु भद्रंकराः, श्लोक-४. २. पे. नाम. दोवयछंदेन सर्वसामान्यजिन स्तुति, पृ. १अ - १आ, संपूर्ण. साधारणजिन स्तुति, सं., पद्य, आदि: अविस्ल कुवलगुक्ल मुक्, अंतिः देवी श्रुतोच्चयम्, श्लोक-४. ५२१५८. (+) अंतकाल पयन्ना व सज्झाय, अपूर्ण, वि. १७वी, मध्यम, पृ. ७-५ (१ से ५) = २, कुल पे. २, प्र. वि. टिप्पण युक्त विशेष पाठ. जैवे. (२५x११, १३४३७). , " १. पे नाम, अंतकाल पयन्ना, पृ. ६अ ७अ संपूर्ण वि. १६०२ फाल्गुन, ले, स्थल, दसपुर नगर, प्रले. वा. माणिकमेर, प्र.ले.पु. सामान्य. आतुरप्रत्याख्यान प्रकीर्णक, प्रा., पद्य, आदि: अरिहंता मंगलं मज्झ, अंतिः सव्वं तिबहेन बोसिरिय, गाथा-२६. २. पे. नाम. असंखया गीत, पृ. ७आ, संपूर्ण, पे. वि. यह कृति बाद में लिखी गई है. १३ जीवदया पालन सज्झाय, मु. ब्रह्म, मा.गु., पद्य, आदि: जीवदया पालउ खरी बोलउ, अंति: ब्रह्म० इक श्रीजगदीस, गाथा - १३, (वि. गाथांक का उल्लेख नहीं है.) ५२१५९, (४) सज्झाय संग्रह, अपूर्ण, वि. १९वी श्रेष्ठ, पृ. ९-८ (१ से ८) = १, कुल पे, २. प्र. वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., गाथा-७. ५२१६१. पुज्यानां भास व स्तवन, अपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २, कुल पे. २, दे., (२१X९.५, ९४२४-३०). १. पे. नाम. पूज्यानां भास, पृ. १आ-२आ, संपूर्ण. (२४.५X१०.५, १५x५१). १. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. ९अ - ९आ, संपूर्ण. मु. अखेराज, रा., पद्य, आदिः यो भव रतन चिंतामण सर, अंतिः अनंत जीव भव तरीयारई, गाथा १७. २. पे. नाम. श्रावकरी सज्झाय, पृ. ९आ, संपूर्ण. औपदेशिक सज्झाय-नवघाटी, मु. हीरा, मा.गु., पद्य, आदि: नवघाटी उलांगनेरह पाय, अंतिः हीरो जी भाईजी जीहो, For Private and Personal Use Only

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