Book Title: Kahan Ratna Sarita
Author(s): Vitrag Sat Sahitya Prasarak Trust
Publisher: Vitrag Sat Sahitya Prasarak Trust

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Page 249
________________ ૨૩૨ श्री वीतराग सत्साहित्य प्रसारक ट्रस्ट उपलब्ध प्रकाशन (हिन्दी) ग्रंथ का नाम एवं विवरण ०१ जिणसासणं सव्वं (ज्ञानीपुरुष विषयक वचनामृतोंका संकलन) ०२ द्रव्यदृष्टिप्रकाश (तीनों भाग पूज्य श्री निहालचंद्रजी सोगानीजीके पत्र एवं तत्त्वचर्चा) · ०३ दूसरा कुछ न खोज (प्रत्यक्ष सत्पुरुष विषयक वचनामृतोंका संकलन) ०४ दंसणमूलो धम्मो (सम्यक्त्व महिमा विषयक आगमोंके आधार) ०५ निर्भ्रात दर्शनकी पगडंडी (ले. पूज्य भाईश्री शशीभाई) ०६ परमागमसार (पूज्य गुरुदेवश्री कानजीस्वामीके १००८ वचनामृत) ०७ प्रयोजन सिद्धि (ले. पूज्य भाईश्री शशीभाई) ०८ मूलमें भूल (पूज्य गुरुदेवश्री कानजीस्वामीके विविध प्रवचन) ०९ विधि विज्ञान (विधि विषयक वचनामृतोंका संकलन) १० सम्यक्ज्ञानदीपिका (ले. श्री धर्मदासजी क्षुल्लक) ११ तत्त्वानुशीलन ( भाग १-२-३) (ले. पूज्य भाईश्री शशीभाई) १२ अनुभव प्रकाश (ले. दीपचंदजी कासलीवाल ) १३ ज्ञानामृत (श्रीमद् राजचंद्र ग्रंथमें से चयन किये गये वचनामृत) १४ मुमुक्षुता आरोहण क्रम (श्रीमद् राजचंद्र पत्रांक- २५४ पर पूज्य भाईश्री शशीभाईके प्रवचन) १५ सम्यग्दर्शनके सर्वोत्कृष्ट निवासभूत छ: पदोंका अमृत पत्र (श्रीमद् राजचंद्र पत्रांक-४९३ पर पूज्य भाईश्री शशीभाईके प्रवचन) १६ आत्मयोग ( श्रीमद् राजचंद्र पत्रांक- ५६९, ४९१, ६०९ पर पूज्य भाईश्री शशीभाईके प्रवचन) १७ परिभ्रमणके प्रत्याख्यान (श्रीमद् राजचंद्र पत्रांक- १९५, १२८, २६४ पर पूज्य भाईश्री शशीभाईके प्रवचन) १८ अनुभव संजीवनी (पूज्य भाई श्री शशीभाई द्वारा लिखे गये वचनामृतों का संकलन) १९ धन्य आराधना ( श्रीमद् राजचंद्रजीकी अंतरंग अध्यात्म दशा पर पूज्य भाईश्री शशीभाई द्वारा विवेचन ) मूल्य २० सिद्धपदका सर्वश्रेष्ठ उपाय (श्रीमद् राजचंद्र पत्रांक- १४७, १९४, २००, ५११, ५६०, ८१९ पर पूज्य भाईश्री शशीभाई के प्रवचन) ०८-०० ३०.०० ०६-०० ०६.०० 90.00 ०४-०० ०८-०० 90.00 १५-०० २०.०० १८.०० २०-०० २०-०० १५०-०० २५.००

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