Book Title: Jinamanjari 2001 04 No 23
Author(s): Jinamanjari
Publisher: Canada Bramhi Jain Society Publication

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Page 4
________________ JAIN AGAM जैन आगम No. 2, July-September 2000 “स्वाध्याय जीवन को स्वस्थ INSIDE THIS ISSUE दृष्टिकोण प्रदान करता है। भ्रम 11 उत्तम क्षमा 3 अंधकार का विनाश कर निश्चय 2 सम्यग्दर्शन 4 की आलोक रश्मियाँ वितीर्ण 3 तत्वार्थसूत्र जैनागम समन्वय करता है। दिग्भ्रम को मिटाकर गन्तब्यों के पथ प्रशस्त करता पर एक दृष्टि 8 है। सम्यक्त्व की प्राप्ति के लिये 4 निर्वाणोत्सव या निर्माणोत्सव9) सम्यक साहित्य का पठन, मनन, 5 क्या जैन समाज चिन्तन अत्यंत आवश्यक है। । धर्मतेज दिखायेगा? 11 साहित्य विधेय कर्मों का निर्देश 6 क्षमा (कविता) 13 करता है। अयुक्त कर्मो का 17 मेरी भावना 14 निषेध भी साहित्य ही करता है। 18 मेरी भावनाः एक समीक्षा 16| सम्यक् साहित्य जीवन के लिये |9 Forgiveness 22 अमृत पाथेय है। संजीवन 10The Art and Science of औषधि है। ____Forgiveness 24 11 What the Jains Say and (आचार्य विद्यानन्द) What They Do 26 12 Silence 29 13 Jain Health 30 JAIN MISSION E-155 Kalkaji, New Delhi-110019 ___Tel: 6482861 Fax: 6479870 Email: jainmission@yahoo.com Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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