________________ UPHIN/2006/16750 असहिष्णुता और आतंकवाद मानव-समाज के हित में नहीं आचार्य श्री विद्यासागर जी का आह्वान रामटेक (नागपुर, महाराष्ट्र)। देश भर में बढ़ रही आतंकवादी घटनाओं तथा धार्मिक असहिष्णुता पर गहरी चिंता जताते हुए प्रसिद्ध जैनसंत आचार्य विद्यासागर जी ने कहा कि दुनिया भर में अहिंसा-दूत के रूप में चर्चित भारत के लिए इस तरह की घटनायें कतई शोभाजनक नहीं मानी जा सकती हैं। जरूरत है अहिंसा तथा सांप्रदायिक सौहार्द के प्राचीन भारतीय मूल्यों को समाज में, विशेष तौर पर युवा पीढ़ी में पुनः स्थापित करने पर बल देने की। आचार्य श्री विद्यासागर जी यहाँ 'मूकमाटी-मीमांसा' के विमोचन समारोह में विशाल श्रद्धालुओं को संबोधित कर थे। इस अवसर पर महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने समारोह की सफलता के लिए अपना शुभकामना संदेश दिया। गृहमंत्री श्री शिवराज पाटिल, पूर्व उपराष्ट्रपति श्री भैरोसिंह शेखावत, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह सहित अनेक विशिष्ट राजनेताओं ने अपने संदेशों के जरिए आचार्य श्री विद्यासागर जी को अपनी शुभकामनाएँ दीं। श्री सिंह ने अपने शुभकामना-संदेश में कहा कि आज जब चारों ओर असहिष्णुता और हिंसा का बोलबाला है, ऐसे में भगवान् महावीर के सहिष्णुता और अहिंसा के संदेश प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा कि आचार्यश्री ने सहिष्णुता एवं अहिंसा के संदेश को न सिर्फ अपने जीवन में उतारा, बल्कि / वे स्वयं इन जीवनमूल्यों के प्रेरणापुंज के रूप में समाज को लाभान्वित करते आ रहे हैं। श्री शेखावत हुए कहा कि उनकी धर्मसभाओं में नैतिक एवं धार्मिक मूल्यों के साथ-साथ राष्ट्रभक्ति का मंत्रोच्चार होता है, जिसके चलते उसमें जनसैलाब उमड़ पड़ता है। इस पुस्तक के संपादक स्वर्गीय प्रभाकर माचवे तथा आचार्य राममूर्ति समेत कई विद्वानों को सम्मानित किया गया है। श्री माचवे को मरणोपर त सम्मानित किया गया है। आचार्यश्री एवं उनके तपस्वी संघ के सान्निध्य में हुए इस समारोह में श्रद्धालुओं के अलावा बड़ी तादाद में विद्वानों ने हिस्सा लिया। गौरतलब है कि मूकमाटी-मीमांसा आचार्य श्री द्वारा लिखित महाकाव्य मूक माटी पर लगभग 300 विद्वानों के आलोचनात्मक लेखों का संग्रह है। ग्रन्थ तीन खण्डों एवं 1800 पृष्ठों में समाहित है। ग्रंथ पर देश के अनेक शोधार्थी पी-एच. डी. तथा तीन डी. लिट् कर रहे हैं। हिंदी, संस्कृत तथा प्राकृत के प्रकाण्ड विद्वान् आचार्य श्री विद्यासागर जी विभिन्न विषयों पर अनेक पुस्तकें तथा महाकाव्य लिख चुके हैं, जिसमें मूक माटी काफी सुर्खियों में रही है। पुस्तक में - रूपक के जरिए बताया गया है कि पददलित माटी को कुम्हार अपने पुरुषार्थ तथा दृढ़ इच्छाशक्ति से तराश कर मंदिर के कलश का रूप दे सकता है, और समाज में सभी को समानता पर लाया ज सकता है। 'जिनेन्दु' (साप्ताहिक ) 12 अक्टूबर 08, अहमदाबाद से सभार स्वामी, प्रकाशक एवं मुद्रक : रतनलाल बैनाड़ा द्वारा एकलव्य ऑफसेट सहकारी मुद्रणालय संस्था मर्यादित, 210, जोन-1, एम.पी. नगर, _Jain Education Inteोपाल म.प्र.) से मुद्रित एवं 1/205 प्रोफेसर कॉलोनीआमा-282002 6.प्र.) से प्रकाशित / संपादक : रतनचन्द्र जैन। ...