Book Title: Jinabhashita 2007 08
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

View full book text
Previous | Next

Page 35
________________ शान्तिजिन-स्तवनम् पं० शिवचरनलाल जैन, मैनपुरी समग्रतत्त्वदर्पणं, विमुक्तिमार्गघोषणम्। कषायमोहमोचनं, नमामि शान्तिजिनवरम् ॥ नमामि --- त्रिलोकवन्द्यभूषणं, भवाब्धिनीरशोषणम्। जितेन्द्रियं अजं जिनं, नमामि शान्तिजिनवरम् ॥ नमामि --- अखण्डखण्डगुणधरं, प्रचण्डकामखण्डनम्। सुभव्यपद्मदिनकर, नमामि शान्तिजिनवरम् ॥नमामि --- 4 एकान्तवादमतहरं, सुस्याद्वादकौशलम्। मुनीन्द्र-वृन्द-सेवितं, नमामि शान्तिजिनवरम् ॥नमामि --- नृपेन्द्रचक्रमण्डनं, प्रकर्मचक्रचूरणम्। सुधर्मचक्रचालकं, नमामि शान्तिजिनवरम् ॥ नमामि --- 6 अग्रन्थनग्नकेवलं, विमोक्षधामकेतनम्। अनिष्टघनप्रभञ्जनं, नमामि शान्तिजिनवरम् ॥नमामि --- महाश्रमणमकिञ्चनम्, अकामकामपदधरम्। सुतीर्थकर्तृषोडशं, नमामि शान्तिजिनवरम् ॥ नमामि --- महाव्रतन्धरं वरं दयाक्षमागुणाकरम्। सुदृष्टिज्ञानव्रतधरं, नमामि शान्तिजिनवरम्॥ नमामि - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 33 34 35 36