Book Title: Jinabhashita 2005 12
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 32
________________ पं. दीपक जैन.पं. पीयष जी 75.चौंम-पं. दीपक जैन-पं. शिष्य मनि श्री नेमिसागर जी सौरभ जी 76. जयपुर-बापूनगर-पं. मयंक जी 77. जवाहर मानते हैं कि 50 वर्षों के बाद किसी साधु ने यह व्रत किया। नगर-पं. पवन जी 78. दर्गापरा-पं. एस. पी. जैन 79. मनि श्री उपवास करते हए अपने षटआवश्यकों का दढता लालकोठी-पं. शिखरचन्द्र जी 80. कीर्तिनगर-श्री मति से पालन करते थे तथा श्रावकों को भी पूरा धर्मलाभ देते थे। उज्ज्वला गोसावी 81.सांगानेर-श्री मति शकुन्तला जैन 82. उपवास भी कभी ग्लानी या थकावट चेहरे में जनता कालोनी-पं. राजेश जी गंगवाल 83.मालवीय नगर- महसूस नहीं हुई। इस पंचम काल में भी इतनी कठिन 7-पं. दीपक जी शास्त्री 84. चित्रकूट कालोनी-पं. संदीप तपस्या करने वाले संत को कोटिशः नमन। जी मानसरोवर 85.मालवीय नगर-10-पं. राहुल फुसकेले एस. बी. काळे जैन, औरंगाबाद 86. बरकत नगर-पं. क्षितिज जी राष्ट्रीय युवा विद्वत् संगोष्ठी महाराष्ट्र- 87. जलगांव-पं. शिखर चन्द्र जी 88. धुले-श्री (दिल्ली) परमपूज्य संतशिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर मति अंजलि खोबरे 89. साकीनाका, बम्बई - पं. सुनील जी जी महाराज के परमशिष्य उपाध्याय श्री 108 गुप्तिसागर जी 90. घाटकोपर, बम्बई- पं. सोनेश जैन, पं. लोकेश जी 91. बुलडाना-पं. विनोद जी बेलोकर 92.अहमद नगर-पं. प्रतीश महाराज के मंगल सान्निध्य में श्री 1008 शांतिनाथ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के पावन अवसर पर पलवल काले 93. कुंथलगिरि-पं.जिनेश जैन,जी भरत 94.बारामती फरीदाबाद में राष्ट्रीय युवा विद्वत संगोष्ठी का त्रिदिवसीय पं. वैभव मेहत्रे,पं. प्रीतेश जी 95. उम्मानाबाद-पं.अमित जैन, पं. नमन जी 96. पिम्प्रीराजा-पं.लवलेश जैन.पं.प्रवीण आयोजन 27 से 29 जनवरी 2006 तक किया जा रहा है। रोकड़े 97. सतारा- पं.श्रीपाल जैन 98. करकंब-पं. सचिन अत: सभी विद्वानों से अनुरोध है कि अपना नाम, पता, व्यवसाय, फोन नं. आदि सहित बायोडाटा 30 नवम्बर 2005 गोरे, पं. मनीष जैन तक संयोजक के पते पर भिजवाने का कष्ट करें। इस संगोष्ठी हरियाणा- 99. रेवाड़ी-पं. राजेश जी, 100. छपरौली-पं. हेतु वे ही युवा विद्वान् सम्पर्क करें जो शोध-आलेख लिखने सुरेश जैन व बोलने में दक्ष हों। संगोष्ठी में पूज्य उपाध्याय श्री गुप्तिसागर दिल्ली- 101.दरियागंज, दिल्ली- पं. नवीन जी, पं. मनोज जी एवं राष्ट्रीय स्तर के वरिष्ठ तीन विद्वानों द्वारा आलेखों की जी 102.सरिता विहार, दिल्ली-पं. विवेक जी, पं. राजीवजैन समीक्षा की जायेगी। त्रिदिवसीय यह संगोष्ठी पूज्य उमास्वामी गजरात- 103.माडवी-पं.अंकेश जैन, पं. सचिन जी 104. के तत्त्वार्थ सत्र पर है। प्रत्येक यवा विद्वान को ग्रंथ से मेहसाणा-पं. विनय जैन, पं. निखिल जी सम्बन्धित अलग-अलग विषय दिया जायेगा। जिन युवा पश्चिम बंगाल-105. सन्मति नगर- पं.सचिन जैन बडा विद्वानों का संगोष्ठी के लिये चयन समिति द्वारा चयन होता है 106. अडंगाबाद-प. रोहित जैन 107. लालगोला-प. सुदीप उन्हें संगोष्ठी के 15 दिन पर्व टाइप किया हुआ आलेख जमा जैन 108. खगड़ा-पं. संदीप जैन करवाना होगा। संगोष्ठी में 30 वर्ष तक के युवा विद्वानों को मुनि श्री 108 चन्द्रप्रभ सागर जी महाराज का आमंत्रित किया जायेगा। सिंहनिष्क्रिीडित व्रत सम्पन्न सम्पर्क सूत्र- 1. सुनील जैन संचय शास्त्री नरवाँ जिला(औरंगाबाद महाराष्ट्र) परमपूज्य संतशिरोमणि सागर (म. प्र.) मो. 09411260785 आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के परमशिष्य पूज्य 2. आशीष कुमार जैन शास्त्री श्री दिगम्बर जैन उ. प्रा. गुरुकुल, मुनि श्री 108 विनित सागर जी महाराज एवं चन्द्रप्रभ ागर हस्तिनापुर जिला-मेरठ (उ.प्र.) मो. 09411067242 जी महाराज ने ऐतिहासिक नगरी औरंगाबाद में चातुर्मास आर्यिका दीक्षा सम्पन्न किया। मुनि चन्द्रप्रभ सागरजी ने सिंहनिष्क्रीड़ित व्रत किये मदनगंज, अजमेर स्थित श्री चन्द्रप्रभ दिगम्बर जैन मंदिर में इस व्रत में आचार्य जिनसेन कृत हरिवंश पुराण का अनुसरण 21 अक्टूबर 2005 शुक्रवार को आर्यिका गणिनी श्री 105 करते हुए एक उपवास एक आहार, बढ़ते एवं घटते क्रम में स्याद्वादमती माता जी के सान्निध्य में इन्दौर निवासी वयोवृद्ध किये। महाराज जी ने 80 दिवस में 60 उपवास और 20 दिन धर्मपरायणा ब्रह्मचारिणी बबी बाई ने साध्वी दीक्षा अंगीकार पारणा की। ऐसा महान् व्रत प्रथमाचार्य आचार्य शांतिसागर की। आयोजित दीक्षा समारोह में प्रतिष्ठाचार्य पं. धर्मचन्द्र जी जी ने जीवन में 3 तीन बार किये थे तथा उनके बाद उनके 30 दिसम्बर 2005 जिनभाषिक्त Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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