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कृति 'तीर्थंकरस्तवन' एवं श्री निर्भयसागर जी महाराज की | तत्त्व-मर्मज्ञ मूलचन्द जी लुहाड़िया के सारगर्भित,ओजस्वीपूर्ण कृति 'वैज्ञानिकों की दृष्टि में उपवास' का विमोचन स्थानीय | एवं तार्किक प्रवचन होते थे। चारों अनुयोगों के माध्यम से विद्वान् पं. सागरमल जी जैन द्वारा किया गया ।
व्यवहार और निश्चय का विश्लेषण आपके द्वारा अभूतपूर्व इस संगोष्ठी में मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र , | होता था। परमआदरणीय ब्रह्मचारिणी पुष्पा दीदी का भी उत्तरप्रदेश से करीब 100 पाठशालाओं के 500 शिक्षकों ने | एक दिन तार्किक एवं ओजस्वी प्रवचन हुआ। सहभागिता देकर प्रशिक्षण प्राप्त किया। चार दिवसीय शिक्षक
श्रवणकुमार जैन, कोलकाता प्रशिक्षण एवं संगोष्ठी में कुल आठ सत्रों में निम्न विषयों
डॉ. सुरेन्द्र जैन जबलपुर कॉलेज में आमंत्रित पर प्रशिक्षण दिया गया । वर्तमान में जैन पाठशालाओं की
बुरहानपुर, स्थानीय सेवा सदन महाविद्यालय के हिन्दी आवश्यकता क्यों ? पाठशालाओं में विद्यार्थियों को कैसे
| विभाग में पदस्थ वरिष्ठ सहा. प्राध्यापक डॉ. सुरेन्द्रकुमार बुलायें और पढ़ायें? पाठशालाओं में अभिभावकों की भूमिका
जैन को दिनांक १६ सितम्बर, २००५ को डी.एन. जैन क्या हो? पाठशालाओं को सुचारु रूप से कैसे चलायें ?
महाविद्यालय,जबलपुर में मुख्यअतिथि के रूप में आमंत्रित आधुनिक तरीकों से हम कैसे धार्मिक शिक्षा दें ? समाज
किया गया, जहाँ उन्होंने महाविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा एवं शिक्षकों की भूमिका कैसी हो ?
आयोजित हिन्दी सप्ताह के अन्तर्गत आयोजित वाद-विवाद, उक्त विषयों पर पूज्य महाराज जी एवं ऐलक जी के
निबंध, कहानीलेखन, शुद्ध हिन्दी आदि प्रतियोगिताओं के साथ श्री डॉ. सुरेन्द्र भारती बुरहानपुर, डॉ. शीतलचंद जी
सफल विजेताओं को पुरस्कृत किया। जयपर. डॉ. कमलेश जी बनारस. डॉ. रतनचंद जी भोपाल.
डॉ. वीरेन्द्र स्वर्णकार, जबलपुर ब्र. भैया प्रदीप जी अशोकनगर, ब्र.दीदी पुष्पा जी, डॉ. अनेकान्त जी दिल्ली, पं. वीरेन्द्रशास्त्री नागपुर, सुनील शास्त्री,
पार्श्वज्योति मंच के विद्वानों द्वारा धर्मप्रभावना सांगानेर, डॉ. आराधना जैन गंजबासौदा आदि विद्वानों ने | बुरहानपुर, स्थानीय पार्श्वज्योति मंच संस्था की ओर प्रशिक्षण प्रदान किया । कार्यक्रम का संयोजन डॉ. सरेन्द्र से दिगम्बर जैन धर्मानुयायियों के प्रमुख धार्मिक उत्सव भारती बरहानपर द्वारा किया गया। ज्ञात हो कि इस संगोष्ठी पर्युषण पर्व पर देश के विभिन्न स्थानों पर जैनसमाज के का द्वितीय बार आयोजन हो रहा है। प्रथम आयोजन मनि | आमंत्रण पर विद्वानों को धार्मिक तत्त्वोपदेश, संस्कार एवं श्री के सान्निध्य में गतवर्ष जेसीनगर में सम्पन्न हुआ था ।
शाकाहार के प्रचार-प्रसार हेतु भेजा गया। __डॉ. पंकज जैन विदिशा
इन सभी विद्वानों ने आचार्य उमास्वामी विरचित पण्डितरत्न मूलचन्द जी लुहाड़िया द्वारा धर्मप्रभावना
तत्त्वार्थसूत्र एवं उत्तमक्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, परमपूज्य सन्तशिरोमणि आचार्य श्री १०८ विद्यासागर
तप, त्याग, आकिंचन्य, ब्रह्मचर्य आदि धर्म के विविध लक्षणों
को समाज के मध्य प्रवचन के माध्यम से प्रतिपादित करते जी महाराज के पटुशिष्य पण्डितरत्न मूलचन्द जी लुहाड़िया
हुये नैतिक एवं संस्कारित जीवन जीने की आवश्यकता के पावन सान्निध्य में दशलक्षण पर्व समारोह बड़े धूमधाम
प्रतिपादित की। एवं आनन्दपूर्वक उत्साह के साथ श्री दिगम्बर जैन नया
डॉ. सुरेन्द्र जैन मंदिर जी में मनाया गया।
दशलक्षण पर्व के दौरान प्रत्येक दिन प्रात: ६ बजे श्री दिगम्बर जैन युवक समिति के तत्त्वावधान में गाजे-बाजे के
सूचना साथ सामूहिक पूजन सम्पन्न हुआ। तत्पश्चात् प्रातः ८.१५
सभी सम्माननीय सदस्यों को सूचित किया जाता बजे से परम श्रद्धेय श्री मूलचन्द जी लुहाड़िया के द्वारा
है कि यदि आपका पता बदल गया हो या पते में कोई तत्त्वार्थसूत्र की व्याख्या एवं वाचन किया गया। प्रत्येक दिन
कमी हो तो पत्र द्वारा प्रकाशक/कार्यालय को अवश्य सांयकाल श्री दिगम्बर जैन युवक समिति के तत्त्वावधान में
सूचित करें, ताकि 'जिनभाषित' आपको सही समय पर भारी संख्या में आवाल-वृद्ध साधर्मी जनों ने गाजे-बाजे के
प्राप्त होती रहे। साथ आरती की। रात्रि ८ बजे से ९ बजे तक दशधर्मों पर
अक्टूबर 2005 जिनभाषित 31
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