Book Title: Jinabhashita 2005 04
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 34
________________ श्री पार्श्वनाथ ब्रह्मचर्याश्रम गुरुकुल, एलोरा (औरंगाबाद, महाराष्ट्र) में आचार्य विद्यासागरभवन व आचार्य आर्यनंदी श्रुत भण्डार का उद्घाटन श्री पार्श्वनाथ ब्रह्मचर्याश्रम गुरुकुल संस्था के प्रांगण में दानवीर श्री अशोककुमार जी पाटणी (आर. के. मार्बल, मदनगंज किशनगढ़, राजस्थान) के वृहत योगदान से नव निर्मित आचार्य विद्यासागर भवन व श्री ज्ञानचंदजी बाबूलालजी जैन लुहाड़िया के योगदान से निर्मित आचार्य आर्यनंदी श्रुत भण्डार (ग्रंथालय ) की वास्तु का उद्घाटन समारोह दि. १३ फरवरी २००५, रविवार को उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ। इस उपलक्ष्य में बनाए गये विशेष प. पू. १०८ उपाध्याय श्री जयभद्र सभामंडप में पंडित ब्र. महावीर भागे अण्णा, प्रदीप माद्रप गुरुजी एवं गुरुकुल के छात्रों ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। मंच पर कार्यक्रमाध्यक्ष पंडित रतनलाल जी बैनाड़ा (आगरा), गुरुकुल के मंत्री स्वतंत्रता सेनानी पन्नालाल जी गंगवाल, आचार्य विद्यासागर भवन के उद्घाटक श्री देवेन्द्रकुमार जी सिंघई मुंगावली (म.प्र.), आचार्य आर्यनंदी श्रुत भंडार के उदघाटक बाबूलाल जी जैन लुहाड़िया (भुसावल ), गुरुकुल सदस्य डॉ. प्रेमचंदजी पाटणी, गुरुकुल संस्थाध्यापक स्वतंत्रता सेनानी श्री तनसुखलालजी ठोले (सज्जनपुर), अरविंद कुमारजी सिंघई मुंगावली (म.प्र.), शंतिलालजी गोधा (रतलाम, म.प्र.), पवनकुमारजी झांजरी (नंदुरबार), संदीप कुमार जी रमणलालजी कासलीवाल (नांदगांव), प्रो. राजकुमार जी चवरे (कारजा) और गुरुकुल सदस्य श्री वर्धमान जी पांडे, देव कुमार जी कान्हेड आदि उपस्थित थे। गुरुकुल संस्था की ओर से मंच पर उपस्थित सभी मान्यवरों का शॉल, श्रीफल और भगवान् पार्श्वनाथ का रंगीन चित्र देकर स्वागत किया गया। इस अवसर पर भवन और ग्रंथालय के नाम फलक का तथा विद्यासागर भवन में एलोरा पहाड़ मंदिर अतिशय क्षेत्र के श्री १००८ भगवान् पार्श्वनाथ, आचार्य समंतभद्र महाराज, आचार्य आर्यनंदी महाराज, आचार्य विद्यासागर महाराज एवं उपाध्याय जयभद्र महाराज के चित्रों का मान्यवर अतिथियों के करकमलों से अनावरण किया गया। श्री पन्नालाल जी गंगवाल ने कहा गत चातुर्मास में परमपूज्य आर्यिका अनंतमति माताजी एवं परमपूज्य आर्यिका आदर्शमति माताजी ने एलोरा गुरुकुल में गुरुदेव आचार्य विद्यासागर जी के नाम से भवन होना चाहिए ऐसी अपेक्षा व्यक्त की थी। आज दाताओं के सहयोग से वह वास्तु बन गई। उन्होंने कहा कि आचार्य समंतभद्र महाराज, आचार्य आर्यनंदी महाराज व उपाध्याय जयभद्र महाराज की प्रेरणा से स्थापित इस गुरुकुल की उन्नति दानवीर समाज और सेवाभावी कार्यकर्ता, अध्यापक इनके सहयोग से हो रही है। इसी अवसर पर परमपूज्य विनीत सागर महाराज का मार्मिक प्रवचन हुआ । 32 अप्रैल 2005 जिनभाषित Jain Education International श्री देवेन्द्रकुमार जी सिंघई ने आचार्य विद्यासागर महाराज के कार्यों की जानकारी देते हुए संस्था की आर्थिक कठिनाई में विद्यार्थी एवं बालकों के लिए सहयोग करने का आश्वासन दिया । कार्यक्रम के अध्यक्ष पंडित रतनलाल जी बैनाड़ा ने कह कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में पढ़ाई का अनन्य साधारण महत्व है। जनगणना के अनुसार महाराष्ट्र में जैनों की संख्या सबसे अधिक है। परमपूज्य आर्यनंदी महाराज व परमपूज्य समंतभद्र महाराज ने एलोरा गुरुकुल की स्थापना की, यह जैन समाज के लिए अलौकिक कार्य है । उन्होंने इस गुरुकुल संस्था को सभीप्रकार का आवश्यक सहयोग देने का आश्वासन दिया। कार्यक्रम का संचालन श्री वर्धमानजी पांडे, श्री निर्मल कुमार ठोलिया और गुलाबचंद बोरालकर ने किया। डॉ. प्रेमचंद पाटणी ने आभार व्यक्त किया । अम्बरकर रा.व. श्री पार्श्वनाथ ब्रह्मचर्याश्रम (गुरूकुल) एलोरा की प्रमुख विशेषताएँ वर्तमान समय में छात्रों को संस्कारवान बनाने एवं जैन तत्वज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए गुरुकुल पद्धति से अध्ययन की परमावश्यकता है। प. पू. समन्तभद्र महाराज तथा प.पू. तीर्थरक्षाशिरोमणि आर्यनन्दी महाराज के अविस्मरणीय योगदान से 'श्री पार्श्वनाथ ब्रह्मचर्याश्रम (गुरूकुल ) ' एलोरा में स्थापित हुआ था। जो वर्तमान में छात्रों को संस्कारवान बनाने एवं जैन तत्वज्ञान के प्रचार-प्रसार में महाराष्ट्र में अपना अभूतपूर्व योगदान प्रदान कर रहा है। छात्रों को सभी सुविधाएँ गुरुकुल परिसर में ही उपलब्ध हैं। छात्रावास, भोजनालय, विद्यासागर भवन, दो धर्मशाला, जिनमंदिर, त्यागीभवन, आरोग्यधाम आदि । प.पू. आ. विद्यासागर जी महाराज की सुशिष्या प.पू. आर्यिका अनन्तमति जी एवं आदर्शमति जी का चातुर्मास पिछले वर्ष एलोरा में ही सम्पन्न हुआ था । आपकी प्रेरणा से 6000 स्क्वायर फिट में लगभग 25 लाख की लागत से आ. विद्यासागर हॉल का निर्माण किया गया। इसमें 11 लाख रू. की राशि श्री अशोक जी पाटनी (आर. के. मार्बल) किशनगढ़ राजस्थान द्वारा प्रदान की गई । गुरुकुल में समर्पित एवं अनुभवी स्टॉफ तथा काकाजी जैसे समर्पित कार्यकर्ताओं के प्रयास से छात्रों को लौकिक एवं आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान कर संस्कारवान विद्यार्थी बनाया जा रहा है। For Private & Personal Use Only गुलाबचन्द बोरालकर www.jainelibrary.org

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