Book Title: Jinabhashita 2002 07
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 36
________________ रजि.नं. UP/HIN/29933/24/1/2001-TC डाक पंजीयन क्र.-म.प्र./भोपाल/588/2002 पर्युषण केंदशदिन “पर्युषण के दश दिन" पुस्तक उपलब्ध है मुनि समतासागर पर्वराज पर्युषण जैन परम्परा का एक सुप्रसिद्ध पर्व है। इस पर्व के सार-संदेश को समझने-समझाने के लिये मुनि श्री समतासागरजी द्वारा लिखित कृति पर्युषण के दश दिन कुछ वर्षों से बहुचर्चित हो चुकी है। इस कृति में पर्युषण की ऐतिहासिकता, दशधर्मों की सांगोपांग व्याख्या और क्षमावाणी की आत्मिक भावधारा को सरल, सारगर्भित शब्दों में स्पष्ट किया गया है। यह कृति त्यागी-व्रती एवं विद्वान प्रवचनकारों के लिये अत्यंत उपयोगी है। यही कारण है कि अल्प समय में ही इसके अनेक संस्करण निकल चुके हैं। मौलिक शास्त्रीय सन्दर्भो और जनजीवन में रचे-बसे सरल उदाहरणों के माध्यम से कृति का कथ्य सरल और सुग्राह्य है। दशलक्षण पर्व के समय इसे आप स्वयं पढ़ें और पढ़-बाचकर श्रोता समुदाय को भी लाभान्वित करें। - पुस्तक का मूल्य 20 रु है। डाक व्यय सहित इसे निम्न पते से प्राप्त कर सकते हैं : ब्र. प्रदीप जी, श्री वर्णी दि. जैन गुरूकुल मढ़ियाजी जबलपुर 3 फोन-370991 2. राजीव कुमार जैन, लकी बुक डिपो, घंटा घर के पास, ललितपुर, फोन-73790 भक्तामर स्तोत्र की नई केसिट तैयार जैन जगत् के सुप्रसिद्ध गीतकार / संगीतकार रवीन्द्र जैन ने 'भक्तामर स्तोत्र' पर एक नई केसिट तैयार की है, जिसमें संस्कृत भक्तामर स्तोत्र के 48काव्यों के साथ-साथ मुनि श्री समतासागर जी महाराज द्वारा किया गया उसका दोहानुवाद भी गाया गया है। संस्कृत के शुद्ध उच्चारण और दोहानुवाद के गायन में स्वर संगीत की मधुरता और मोहकता अद्वितीय है। इस केसिट को प्रभात जैन, बम्बई ने तैयार कराया है। रवीन्द्र जी ने इसे अपने डी.आर. प्रोडक्शन से रिलीज किया है। केसिट उपलब्ध कर आप सस्वर भक्तामर-भक्ति का आनंद अवश्य लें। स्वामी, प्रकाशक एवं मुद्रक :रतनलाल बैनाड़ा द्वारा एकलव्य ऑफसेट सहकारी मुद्रणालय संस्था मर्यादित, जोन-1, महाराणा प्रताप नगर, Jain Education Inte भोपाला (म.प्र.) से मुद्रित एवं सर्वोदय जैन विद्यापीठ 1/205, प्रोफेसर्स कालोनी, आगरा - 282002 (उ.प्र.) से प्रकाशित!w.jainelibrary.org

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