Book Title: Jainendra ke Katha Sahitya me Yuga Chetna Author(s): Ajay Pratap Sinh Publisher: Ilahabad University View full book textPage 4
________________ आभार ज्ञाप्ति प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध के पूर्ण होने पर उन महानुभावों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करना अपना परम कर्त्तव्य समझता हूँ, जिन्होंने इस कार्य में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहायता प्रदान की। प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध मैंने डॉ मीरा दीक्षित (प्रवक्ता, हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद) के निर्देशन में पूरा किया। उनके सुचारु निर्देशन तथा सुदक्ष आलोचनात्मक प्रतिभा ने मेरी अल्पबुद्धि को बहुत कुछ देने की कृपा की है। उनके द्वारा किए गए उपकार के प्रति आभार प्रदर्शन का अभिनय मैं नहीं कर सकता। उनकी सहृदयता के समक्ष मैं नतमस्तक हूँ। प्रो० राजेन्द्र कुमार (अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद), जिनका चिंतनशील व्यक्तित्व मझे निरन्तर प्रेरणा प्रदान करता रहा है, के मंगलाशीष की मैं कामना करता हूँ। मै कृतज्ञ हूँ प्रो० सत्य प्रकाश मिश्र (हिन्दी विभाठा, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद) का, जिन्होंने मुझे यह विषय सुझाया तथा जिनका चिंतनशील व्यक्तित्व निरन्तर प्रेरणा प्रदान करता रहा है। डॉ० बी०पी० सिंह (पूर्व चीफ प्रॉक्टर, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद), डॉ बी०एन० मिश्र (रीडर, भूगोल विभाठा, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद), डॉ राम कृपाल त्रिपाठी (संरक्षक, डॉo ताराचन्द छात्रावास, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद), डॉ० के०पी० सिंह (अक्षीक्षक, डॉ ताराचन्द छात्रावास, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद), श्री राम शिरोमणि उपाध्याय (पूर्व प्रधानाचार्य), श्री महेन्द्र नाथ मिश्र (प्रवक्ता), श्री जीत नारायण सिंह (प्रवक्ता) के अगाध स्नेह ने मुझे नई दिशा व प्रेरणा प्रदान की। इन महानुभावों के प्रति मैं आत्मिक कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ।Page Navigation
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