Book Title: Jaina Method Of Curing
Author(s): Manju Jain
Publisher: International School for Jain Studies

Previous | Next

Page 216
________________ दुर्भिक्ष चोरी मिरगी आदि निवारक स्वर्गा-पवर्ग-गममार्ग-विमार्गणेष्टः, सद्धर्म-तत्त्व-कथनैक-पटुस-त्रिलोक्याः | दिव्य-ध्वनिर-भवति ते विशदार्थ-सर्वभाषा-स्वभाव-परिणाम-गणैः प्रयोज्यः ||35॥ स्वर्गा पवर्ग गम मार्ग विमार्गणेष्ट: छ ॐ हीं अहं णमो जल्लोसहिपत्ताणं ॐ नमो परिश होश जगमन दशन दान ॐ नम भाषा स्वभाव परिणाम गुणैः प्रयोज्यः।। ॐ ॐनमो गजगमने सर्वकल्याणमूर्ते रक्ष २ नमः स्वाहा। AVश्री वकल्याण याणमूत जय विजय अपराजिते महालक्षमी अमृतवर्षिणी सद्धर्म तत्त्व कथनैक पटुस्त्रिलोक्याः । स्वाहा। '480 12 I 1914. . bbbble Hoteles दिव्य ध्वनिर् भवति ते विशदार्थ सर्व AAPLA

Loading...

Page Navigation
1 ... 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286