Book Title: Jain Tirth Yatra Vivaran
Author(s): Dahyabhai Shivlal
Publisher: Dahyabhai Shivlal

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Page 19
________________ (१३) भारतवर्षके डॉक विभागके नियम । १. जो चिट्ठी चारों तरफसे बंद होती है उसके पढनेका किसीको अधिकार नहीं है, ऐसी चिट्ठीका वजन १ तोला तक हो तो उसका महसूल आधा आना लगता है तथा उससे अधिक अर्थात् १० तोले तक एक आना लगता है । वैरग चिट्ठीका उससे दूना लगता है। २. पोष्ट कार्ड एक पैसेमें मिलता है उसके एक तरफ तथा दूसरी तरफके आधे भागमें समाचार लिखना चाहिये । पता साफ लिखना चाहिये. इसी तरह सादे कार्ड को भी एक पैसेका टिकट लगाकर काममें ला सकते है। ३. वुक पैकिट-यह दोनों तरफसे खुला रहता है. इसमें छपी हुई पुस्तकें व छपनेके लिये हाथकी लिखी हुई कापियाँ वगैरह भेजी जाती है इसका महसूल १० तोले तक आध आना लगता है. ४. वानगीकी वस्तु भी १० तोले तक आधे आनामें जाती है और फिर हर दस तोले पर आधे आना ज्यादा होता जाता है. ५. पार्सल-४० तोले तकके वजनका 2) आनेमें जाता है फिर हर ४० तोले या उसके हिस्सेपर ) आना अधिक होता जाता है, ये सब अनरजिष्टर्ड पार्सल कहलाते है जो रजिस्ट्री कराना चाहे वह ) का अधिक टिकट लगावे पार्सल कितने ही वजनका क्यों न हो । पारसल वेरंग कभी नहीं जाते । ६. वेल्यूपेवल ( वी. पी.) पारसल, चिट्ठी, वुक पाकेट वगैरह

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