Book Title: Jain Tirth Yatra Vivaran
Author(s): Dahyabhai Shivlal
Publisher: Dahyabhai Shivlal

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Page 56
________________ (४८) लिये सीढ़ियां बनी हुई है । इस पर्वतपर ध्यान करने योग्य बढ़ी २ शिलायें और गुफाये है । चढ़नेवालोंको दाहिनी तरफसे जानेसे श्री भद्रवाहुश्रुत केवली की गुफा मिलती है । उसके भीतर श्रीपरमाचार्यके चरणारविन्द करीब २ वालिस्त लम्बे पाषाणमें अंकित है । इन चरणों पर छत्ररूप एक बड़ा भारी पर्वत है । इससे अपूर्व अनुभवका लाभ होता है। पहाड़पर और भी कई जगह मूर्तिये है । जैन वद्रीसे ८० मील पैदल मूडबद्री है सो बैलगाड़ीद्वारा जावे. मद्रास से बेंगलोर होकर आरसीकेरी का टिकट लेना चाहिये. श्री क्षेत्र सितामृर । 1 यह प्राचीन क्षेत्र है । यहांपर एक मंदिर करीब १५०० वर्षका प्राचीन है । चैत्रमासमें बड़ा भारी उत्सव होता है स्टेशन तिण्डिवनम् [SIR. ] है । यहांसे करीब १० मीलपर यह क्षेत्र स्थित है । प्रसिद्धता । दिल्ली -- यह शहर बहुत पुराना है। यह प्राचीन समयसे हर एक राजाओंकी राजधानी होती आई है। हिंदुस्थानमें महान ब्रिटिश राज्यकी राजधानी भी यही है । देखने योग्य स्थान निम्न प्रकार हैं । लाल किला, सुनहरी मसजिद, जुम्मासजिद, अजायबघर, घंटाघर पृथ्वीराजका किला, कुतुब सा. की लाठ, चांदनीचौक भरतखंडके

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