Book Title: Jain Tattvagyan Mimansa
Author(s): Darbarilal Kothiya
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 402
________________ ६ पूज्य वर्णीजी : महत्त्वपूर्ण संस्मरण न भूलने वाले संस्मरण, दिगम्बर जैन, वर्ष ५९, अक ११, सूरत, सितम्बर १९६६ । तथा महामानव पूज्य चर्णीजी, जैन प्रचारक, 'वो अक', १९५२ । , ७. प्रतिभामूति प० टोडरमल शीर्षक वही, वीर वाणी, टोडरमलाङ्ग, जयपुर । ८. श्रुत-पञ्चमी . . जैन मित्र, अप्रेल १९३७, सूरत । ९ जम्बू-जिनाष्टकम् : शीर्षक वही, 'अनेकान्त', वर्ष ८, कि० १, जनवरी १९४६ । १० दशलक्षणधर्म पर्व दशलक्षणधर्म, पुस्तिका, वाराणसी, १९६३ । तथा 'जैन सन्देश', जैन सघ, मथुरा, अगस्त १९५२ । ११. क्षमावणी • क्षमापर्व : क्षमावाणी पर्व और उसका महत्व, जैन सन्देश, मथुरा, अगस्त, १९५२ । १२. वीर-निर्वाण पर्व : दीपावली : वीर-निर्वाण और दीपावली, खण्डेवाल हितेच्छु, इन्दौर, नवम्बर १९४३, तथा जैन गजट, दिल्ली, नवम्बर १९५३ । १३. महावीर-जयन्ती शीर्षक वही, सम्पादकीय, जैन प्रचारक, दिल्ली, अप्रेल १९५६ । १४. श्री पपौराजी · जिन मन्दिरोंका · श्री पपौराजी : एक पावन तीर्थक्षेत्र, 'वीर,' २८ मई अद्भुत समुच्चय . १९५१, दिल्ली। १५ पावापुर • भगवान् महावीरकी पावन निर्वाणभूमि पावापुर, जैन प्रचारक, १९५४, दिल्ली। १६. श्रमणवेलगोला और श्री गोम्मटेश्वर श्री गोम्मटेश्वरका सहस्राब्दि-महोत्सव महामस्तकाभिषेक, 'आज', वाराणसी, १९८० तथा इसके पूर्व नवभारत टाइम्स, दिल्ली, २२ फरवरी, १९५३ ।। १७ राजगहकी यात्रा और मेरे अनुभव राजगृहकी यात्रा, अनेकान्त', वर्ष ८, कि० ४-५, १९४६ । ई०, सरसावा (सहारनपुर)। १८ काश्मीरकी यात्रा और सौन्दर्यकी क्रीडाभूमि काश्मीरकी यात्रा, जन सन्देश, २९ और मेरे अनुभव जुलाई १९५४, मथुरा। १९ बम्बईका प्रवास प्रवासमें मेरे ४५ दिन, जैन प्रचारक, दिल्ली, सन् १९५१ । -३७४

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