Book Title: Jain Stotra Sahitya Ek Vihangam Drushti Author(s): Gadadhar Sinh Publisher: Z_Kusumvati_Sadhvi_Abhinandan_Granth_012032.pdf View full book textPage 9
________________ ११. भट्टारक शुभचन्द (सं० १५७३ वि०)- सम्बन्धी निम्नलिखित रचनाएँ हैं-बीर जिमेन्द्र | इनकी लिखी हुई ४० से अधिक रचनाएँ प्राप्त हुई गीत, आदिमाथ स्तवन, शान्तिमाथ स्तवन । हैं जिनमें निम्नलिखित स्तोत्र प्रसिद्ध हैं-(१) चतु- २५. रामचन्द्र-इनके द्वारा रचित तीन स्तवन । विशति स्तुति, (२) अष्टाह्निका गीत, (३) महावीर ग्रन्थ प्रसिद्ध हैं-बीकानेर आदिनाथ स्तवन, सम्मेद छन्द, (४) विजयकीर्ति छन्द, (५) गुरु छन्द, (६) शिखर स्तवन और दशपंचक्खाण। नेमिनाथ छन्द । २६. महारक शुभचन्द्र-संस्कृत ग्रन्थों के अति१२. आनन्दघन-इनका स्थान बन कवियों में रिक्त हिन्दी में लिखे इनके स्तोत्र ग्रन्थ प्रसिद्ध हैं। 5 अप्रतिम है । इनकी दो रचनाएँ प्रसिद्ध हैं-चौबीसी जैसे-चविंशति स्तुति, अष्टाह्निकागीत, क्षेत्रपालX और बहत्तरी । चौबीसी गुजराती में है जिसमें गीस, महावीर छन्द, आरती, गुरु छन्द आदि । । चौबीस तीर्थकरों की स्तुति है। २७. मुनि सकलकीति-पार्श्वनाथाष्टक । १३. उदयराज जती (सं० १६६७)-रचनाएँ- २८. पाण्डे रूपचन्द्र-इनके भी कई स्त्रोत भजन छतीसी, चौबीस जिन सवैया । _प्रसिद्ध हैं। १४. कल्याण कीति-जीराबली पार्श्वनाथ २६. सहजकीर्ति-प्राती, जिनराजसूरि गीत, स्तवन, नवग्रह स्तवन, तीर्थकर विनती, आदीश्वर साधु कीर्ति, जैसलमेर चैत्य प्रवाडी।। बधावा। ३०. सुमतिकोति-जिनवरस्वामी विनती, जिन १५. कनककीर्ति-मेघकुमार गोत, जिनराज- विनती, क्षेत्रपाल प्रजा । 5 स्तुति, श्रीपाल स्तुति, पार्श्वनाथ की आरती, ३१. हर्षकीति-जिनभक्ति, बीस तीर्थकर विनती। जकड़ी, पार्श्वनाथ पूजा, बीस विहरमाण पूजा। १६. कुमुदचन्द्र-मुनिसुव्रत विनती, आदीश्वर विनती, पार्श्वनाथ विनती, त्रेपनप्रिया विनती, जन्म ३२, पं० हीरानन्द-समवशरण स्तोत्र, एकी भाव स्तोत्र। कल्याणक गीत, शील गीत आदि । ३३. मुनि हेमसिद्ध-आदिनाथ गीत ।। १७. कुशल लाभ-पूज्यवाहणगीतम् । ३४. द्यानतराय-स्वयम्भू स्तोत्र तथा 'धर्म १८. गुणसागर-शान्तिनाथ स्तवन, पायजिभ- विलास' में निबद्ध दस पूजा ग्रन्थ ।। स्तवन । ३५. हेमराज-भक्तामर स्तोत्र । १६. जयकीति-महिम्न स्तवन । पाण्डेय हेमराज, अखयराज और धनदास ने २०. पाण्डे जिनदास-जिन चैत्यालय पूजा 'भक्तामर स्तोत्र' का पद्यानुवाद किया है। हेम(संस्कृत) एवं मुनीश्वरों की जयमाल । राज का यह अनुवाद सरल और स्पष्ट तो है ही ३) २१. नरेन्द्र कोति-बीस तीर्थकर पूजा (संस्कृत), उसके मूलभाव को भी स्पष्ट करता है । कुमुदचन्द्र पद्मावती पूजा (संस्कृत), ढाल-मंगल की कृत 'कल्याण मन्दिर स्तोत्र' बहुत ही लोकप्रिय स्तोत्र Ni (हिन्दी)। रहा है और इसी कारण हिन्दी के अनेक कवि २२. ब्रह्मगुलाल-समवसरण स्तोत्र। इसकी ओर आकृष्ट हुए हैं । इसके अनुवादकर्ताओं // . २३. बनारसीदास-'बनारसी विलास' में इनके में महाकवि बनारसीदास, अखयराज, भेलीराम TE स्तोत्र संगृहीत हैं। ___ आदि अग्रगण्य हैं। महाकवि बनारसीदास का 3 २४. भगवतीवास-ये भैया भगवतीदास से अनुबाद सोलह मात्रा के चौपाई छन्द में है । भक्त भिन्न हैं । इनकी २३ रचनाएँ प्राप्त हैं जिनमें स्तोत्र संस्कृत मूल स्तोत्र से जो मानन्द प्राप्त करता है पंचव सण्ड : जैन साहित्य और इतिहास AVMSRAV w 60 साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ Jain Education International w ord Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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