Book Title: Jain Stotra Ratnakar Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 9
________________ निउमी, गोमेहो पोस मायंगो ॥७॥ देवी चक्केसरि, अजिया पुरियारि कालि महाकाली ॥ अञ्चुथ संता जाला, सुतारया सोय सिरिवहा ॥ ए॥ चंमा विजयंकुसि पन्नति, निवाणि, अच्चुया धरणी ॥ वट्ट बुत्त गंधारि, अंब पन. मावई सिद्धा ॥ १० ॥ श्य तिब रकणरया, अन्नेविसुरा सुरी चऊ हावि ॥ वंतर जोशणि पमुहा, कु. णंतु रकं सया अम्हं ॥११॥ एवं सुदिाह सुरगण, सहि संघस्स संति जिणचंदो ॥ मावि करेउ Jain Educationa Internatiorelsonal and Private Use volyy.jainelibrary.orgPage Navigation
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